पोल खोल

मत झूठ बोलो सरकार —

जिन परिवारों ने अपनों की मौत को करीब से देखा हैं, उनके साथ यह तो सरकारी छल कपट हैं

( धीरज चतुर्वेदी ) न्याय की चौखट यानि उच्च न्यायालय जबलपुर में मप्र सरकार अपने जवाब में यह कहती हैं कि पूरे प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी के कारण एक भी मौत नहीं हुई और 853 वेंटीलेटर की जरुरत ही नहीं पढ़ी। यह शुद्ध रूप से सरकार का निर्दयी जवाब हैं। काश जवाब देने वालो के परिवार में कोरोना त्रासदी के दौरान निर्मम व्यवस्थाओ से आकस्मिक दशा गुजरती तो यह सरकारी छल कपट नहीं होता। कोरोना की दूसरी लहर में सैकड़ो परिवार हैं जिनके मरीज को ऑक्सीजन नहीं मिला और उनकी मौत हों गई। पूरे प्रदेश में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालो में बेड तक खाली नहीं थे। वेंटीलेटर के आभाव में कई लोगो की जान गई। यह आंकड़े सबूत हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में आखिर मौत के आंकड़े क्यों बढे और कारण क्या रहा। श्मशान घाटों पर सैकड़ो चिताओं को जलते देखा गया हैं। उन परिवारों से पूछो जिन्होंने अपने सदस्य को सरकारी नाकामी के कारण तड़फते देखा हैं और उसकी मौत देखी हैं। सरकार में बैठे लोगो ने भी इंसानी योनि में जन्म लिया हैं और उनमे आत्मा का वास हैं। फिर अपने नाकाम झूठ को छुपाने क्यों फर्जी जवाब पेश किये जाते हैं। क्या सरकार में विराजमान लोगो ने कोरोना में अपनी मानवीय संवेदनाओं की भी निर्मम हत्या कर दी है, जैसे कोरोना में मृत होने वालो की। मप्र में तो राम राज्य का संज्ञा स्वरुप हैं। तो क्या राम के राज का कलयुगी स्वरुप यह होगा जहाँ के राजा अपने नकारेपन पर पर्दा डालने के लिये प्रपंच और झूठ को ढाल बनायेंगे ताकि सिहासन पर आंच ना आये।

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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