केंद्रीय विद्यालय खोलने की घोषणा और श्रेय लूटने का युद्ध शुरू

(धीरज चतुर्वेदी )
नेताओं का व्यक्तित्व भी अजब और गजब हैं। केंद्रीय विद्यालय खोलने की महज अभी घोषणा हुई हैं और श्रेय लूटने का युद्ध शुरू हों चुका हैं। इसे ही कहते हैं कि अभी सूत ना कपास, पर कोरामकोर में लठम लठा। स्कूल अभी खुला नहीं हैं लेकिन सांसद और विधायक के समर्थको में सोशल मीडिया पर जंग शुरू हों चुकी हैं। बेहद शर्मनाक यह हैं कि जब कोरोना की दूसरी भीषण लहर में ऑक्सीजन और वेंटीलेटर के अभाव में जब लोगो को मौत मिल रही थी तब यह नेता पिक्चर से गायब थे। आज जब सामान्य हालात हों चुके हैं तो एक बार फिर हीरो बनने की कोशिश जारी हैं। इधर तीसरी लहर की भी आशंका हैं, संभावित खतरे को देखते हुए यह माननीय जनता के इतने ही हितेषी हैं तो इन्हे अभी से स्वास्थ्य सुविधाएं चौकस करने के प्रयास करने चाहिये। वैसे भी घोषणाओ का का तो वह पिटारा हैं, जिसे आम जनता को बहकाने के लिये नेताजी लोग हथियार के रूप में उपयोग करते आये हैं। जैसे मेडिकल कालेज का शिलान्यास, जिला अस्पताल भवन का लोकार्पण। मेडिकल कालेज छू हों गया वहीँ जिला अस्पताल के भवन में पलंग यानि बेड तक नहीं थे। समाज के लोगो ने आगे आकर अस्पताल में यह व्यवस्थाये मुहैया कराई हैं। जो जिम्मेदारो के मुँह पर करारे तमाचे से कम नहीं हैं। नौगांव में तो दूसरी लहर में कई लोग ऐसे मौत के मुँह में समा गये जिन्हे चिकित्सिय सुविधा तक नहीं मिल पाई। यह तक कि यहाँ कोविद सेंटर तक नहीं था। यह खतरनाक मंजर लोगो ने सहा हैं और अपनी आँखों से अपनों की तड़पती मौत देखी हैं। इसके बाद भी नेताजी यानि माननीयों यानि जन के प्रतिनिधियों का केवल केद्रीय विद्यालय की घोषणा के लिए आपसी जंग छेड़ देना कहाँ तक उचित हैं?
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