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बढ़ते विरोध को साधने गुपचुप तरीके से बक्सवाहा पहुंचे खनिज मंत्री, ज्ञापन देने बक्स्वाहा, बड़ामलहरा जिला मुख्यालय पर भटकते रहे पर्यावरण प्रेमी

हीरा खनन के लिए पेड़ों के कटने का हो रहा जबरदस्त विरोध 

बक्स्वाहा क्षेत्र में प्रस्तावित बिरला कंपनी की हीरा उत्खनन खदान के लिए दो लाख 15 हजार पेड़ों को काटे जाने का विरोध लगातार बढ़ रहा है और अब इसी विरोध को थामने और साधने के लिए सरकार चिंतित नजर आ रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर प्रदेश के खनिज मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह बुधवार को खदान प्रभावित गांव कसेरा में जनता के बीच पहुंचे। यहां आयोजित एक सभा के दौरान उन्होंने लोगों को खदान लगने से होने वाले  फायदे गिनाए और मंच से कहा कि खदान का विरोध वे लोग कर रहे हैं जो यहां के हैं ही नहंी। उन्होंने कहा कि जितने पेड़ इस खदान के स्वीकृत होने पर काटे जाने हैं उससे कई गुना ज्यादा पेड़ सरकार इस क्षेत्र में लगाएगी। जनता को इस खदान का समर्थन करना चाहिए। कसेरा में आयोजित इस कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक प्रद्युम्र सिंह लोधी, उनके जीजा सुरेन्द्र सिंह सहित कई भाजपा नेता मंच पर मौजूद रहे। 

बक्स्वाहा जंगल बचाओ आंदोलन के प्रवक्ता व समाजसेवी अमित भटनागर व शरद सिंह कुमरे ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के महानिर्देशक सुब्रत महापात्रा व मध्यप्रदेश राज्य सरकार के वन मंत्री ब्रजेन्द्र सिंह के गुपचुप तरिके से हुए दौरे पर संदेह व्यक्त करते हुए उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा किये है। शरद कुमरे ने बताया कि वे वन महानिर्देशक व मंत्री महोदय को 11 सूत्री ज्ञापन सौंपना चाहते थे।

मंत्री ने दिया भरोसा, रोजगार और विकास देगी खदान

खनिज मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि इस खदान से मप्र को 28 हजार करोड़ की रॉयल्टी मिलने जा रही है। इसका 30 फीसदी हिस्सा जिला खनिज कोष के रूप में छतरपुर जिले के विकास पर खर्च किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कंपनी अपने सीएसआर फण्ड से यहां इंग्लिश मीडियम स्कूल, अस्पताल, सड़क जैसी सुविधाएं भी देगी साथ ही सरकार ने कंपनी को पाबंद किया है कि इस खदान में 75 फीसदी स्थानीय लोगों को अनिवार्य रूप से रोजगार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि खदान के कारण दो लाख 15 हजार पेड़ काटे जाएंगे ये बिगड़े हुए वन हैं, कोई रिजर्व फॉरेस्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि इतने पेड़ 12 सालों में काटे जाएंगे जबकि मुख्यमंत्री ने यहां 10 लाख पेड़ लगाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि यह पूरे छतरपुर जिले के लिए गौरव की बात होगी कि विश्व की 10 प्रमुख हीरा खदानों में से एक छतरपुर जिले में होगी। उन्होंने कहा कि इस खदान के आने से छतरपुर जिले में रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। विरोध की जो हवा चल रही है वह बाहरी लोगों के द्वारा चलाई जा रही है जिन्हें जंगलों से कोई मतलब नहीं है। इसी कार्यक्रम में प्रद्युम्र सिंह लोधी ने कहा कि दलाल लोग इस खदान का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने ग्रामीणों से आह्वान किया कि विरोध करने वाले लोगों को काले झण्डे दिखाएं। 

क्यों हो रहा है खदान का विरोध

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने वर्ष 2019 में बक्स्वाहा के 15 गांव के आसपास मौजूद जंगली क्षेत्र की लगभग 342 हेक्टेयर जमीन पर हीरे के उत्खनन के लिए बिरला की एस्सेल माइनिंग को ठेका दिया था। इसके बाद कंपनी ने इस क्षेत्र में पहले से काम कर रही रियो टिंटो के संसाधनों को अधिग्रहीत कर लिया है। फिलहाल पर्यावरण अनुमति के लिए 2 लाख 15 हजार पेड़ों को काटने संबंधी अनुमति की फाइल दिल्ली के केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में लंबित है। इस क्षेत्र में कई वन्य प्राणियों और घने जंगलों के नष्ट होने की बात कहते हुए देश के कई पर्यावरणविद्, समाजसेवी और स्थानीय युवा इस खदान का विरोध कर रहे हैं। खदान के विरोध ने सबसे ज्यादा सोशल मीडिया पर ध्यान खींचा जिसके चलते सरकार इस मुद्दे को लेकर चिंतित हो गई है। उधर इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और एनजीटी में भी विरोध के लिए याचिकाएं दर्ज की जा चुकी हैं। हालांकि सरकार इस खदान को शुरू कराने के लिए पूरा मन बना चुकी है। 

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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