NGT ने बक्सवाहा में पेड़ों की कटाई पर लगाई रोक
जनहित याचिका में दी गई पेड़ों की कटाई को चुनौती
छतरपुर। जिले से 100 किमी दूर बकस्वाहा तहसील में इस समय जंगल काटने का विरोध हो रहा है तो दूसरी तरफ प्रदेश के खनिज मंत्री गुपचुप तरीके से बकस्वाहा में डेमेज कंट्रोल करने के लिए लोगों को रोजगार देने का प्रलोभन दे रहे हैं। लेकिन आज एनजीटी ने एक आदेश जारी कर बकस्वाहा के जंगलों को काटने पर आगामी आदेश तक के लिए नोटिस जारी कर दिया है। यह नोटिस मप्र सरकार एवं केन्द्र सरकार के वन पर्यावरण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को दिया गया है। जिससे हडकंप मच गय है गौरतलब हो कि पिछले साल से बकस्वाहा के जंगल काटने के लिए एक कंपनी लगातार प्रयास कर रही थी। इस कंपनी ने मप्र शासन को करोड़ों रुपए का अग्रिम राजस्व भी जमा कर दिया है केवल कंपनी का प्रोजेक्ट अतिशीघ्र तैयार होकर काम शुरु होना था लेकिन बकस्वाहा क्षेत्र के जागरुक नेता और सामाजित संगठन के लोगों के द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन होने के कारण कंपनी के लोग बकस्वाहा में घुस नहीं पा रहे थे। अभी हाल ही में प्रदेश के खनिज मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह गुपचुप तरीके से बकस्वाहा में पहुंचे और कई गांवों के लोगों को प्रलोभन देकर यह आश्वासन दिया कि यहां पर हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा। एवं 12 वर्ष में धीरे धीरे जंगल काटे जाएंगे और उतने ही पेड़ लगाए जाएंगे। ऐसे कई आश्वासन ग्रामीणों को दिए गए। उसके बावजूद भी ग्रामीणों में जंगल काटने का विरोध लगातार जारी रहा। आज एनजीटी ने एक आदेश जारी करकर कंपनी के अरमानों पर पानी फेर दिया है। बकस्वाहा में विरोध के चलते कोई भी वरिष्ठ अधिकारी जिले का वहां नहीं पहुंचा हालांकि बड़ामलहरा विधायक प्रद्युम्र लोधी और खनिज मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह जरूर पहुंचे थे जिन्हें लोगों ने अच्छी खरी खोटी सुनाई। आने वाले समय में क्षेत्र की जनता इस क्षेत्र से चुने हुए प्रतिनिधि को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। फिलहाल बकस्वाहा के जंगलों का मामला पूरे देश और विदेश में छाया हुआ है खासतोर से सोशल मीडिया पर यह मामला बहुत तेजी से चल रहा है औरऐसे में यदि प्रदेश के मुख्यमंत्री जनता के साथ नहीं जाते हैं तो उनकी अच्छी खासी किरकिरी होने वाली है।
बक्सवाहा में हीरा खदान के लिए लाखों पेड़ काटने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( NGT) ने सख्त रुख अपनाते हुए पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है। साथ ही, मध्यप्रदेश के मुख्य वन संरक्षक को आदेश दिया है कि वे देखें कि कोई भी पेड़ नहीं कटना चाहिए। इसके लिए वन विभाग की अनुमति आवश्यक है। वन संरक्षण अधिनियम की धारा 2 में प्रदत्त गाइडलाइन का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। इसके तहत एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया जाए।
आदेश में याचिकाकर्ता को निर्देश दिए गए, सभी आवश्यक कागजात और याचिका की कॉपी अनावेदकों को प्रस्तुत करें। मामले में पार्टी बनाए गए राज्य सरकार, केंद्र सरकार, वन विभाग, और हीरा खदान का ठेका लेने वाली निजी कंपनी को 4 सप्ताह जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है। अगली सुनवाई 27 अगस्त 2021 को तय की गई है।
जनहित याचिका में पेड़ों की कटाई को चुनौती दी गई है
नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉक्टर पीजी नाजपांडे, रजत भार्गव, और उज्जवल शर्मा की ओर से लगाई गई संयुक्त याचिका की NGT ने 30 जून बुधवार को सुनवाई की थी। याचिका में बक्सवाहा जंगल में हीरा खदान की अनुमति देने और पेड़ों की कटाई को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता डॉक्टर पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने 21 जून को आवेदन प्रस्तुत कर बक्सवाहा जंगल में रॉक पेंटिंग मिलने के मामले में ऑर्कियोलॉजिकल सोसाइटी से इसकी रिपोर्ट पेश करने की अपील की है।
कंपनी ने सुनवाई के दौरान ये बताया
वहीं, कंपनी (आदित्य बिरला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड) की ओर से वकीलों ने तर्क रखा, मामले में पूर्व से सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में केस लगा हुआ है। अब दो केस NGT में भी लगा दिया गया। इस तरह केस लगाकर खनन कंपनी को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है। प्रोजेक्ट के लिए एमपी शासन को 27 करोड़ से अधिक दे चुकी है। माइनिंग विभाग अनुबंध से तीन साल के अंदर क्लीयरेंस करा कर देगी।
खनन कंपनी कटने वाले पेड़ से अधिक पेड़ लगाएगी
दावा किया कि हीरा निकालने वाली साइट के 10 किमी क्षेत्र में रिजर्व फॉरेस्ट या वाइल्ड लाइफ सेंचुरी नहीं है। फाॅरेस्ट की रिपोर्ट में भी विशिष्ट जानवरों की उपस्थिति नहीं बताई गई है। पर्यावरण व वन विभाग की सभी अनुमतियों के बाद ही पेड़ काटा जाएगा। ग्राउंड वाॅटर को वॉटर हार्वेस्टिंग करके रिप्लेस करेंगे। बक्सवाहा में अगले 12 वर्षों में काटे जाने वाले 2.15 लाख पेड़ों की तुलना में 3.80 लाख पेड़ लगाए जाएंगे। इसके लिए कंपनी ने 15.8 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
विरोध करने वालों का तर्क
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में राज्य सरकार ने निजी कंपनी (आदित्य बिरला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड) को बक्सवाहा के जंगलों की कटाई करने की अनुमति दी है। यह अनुमति इस क्षेत्र में पाई जाने वाली हीरों की खानों की खुदाई के सन्दर्भ में दी गई है।
अनुमान है, 382.131 हेक्टेयर के इस जंगल क्षेत्र में 40 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के दो लाख 15 हजार 875 पेड़ों को काटना होगा। इन जंगलों पर आश्रित 20 गांवों के 8000 निवासियों पर इसका असर पड़ेगा। जंगलों की कटाई से पर्यावरण के साथ ही बुंदेलखंड में भी जल संकट गहराएगा। क्योंकि इस क्षेत्र से होने वाला जल का बहाव ही बुंदेलखंड के विभिन्न क्षेत्रों तक जाता है।