डायमण्ड प्रोजेक्ट के संबंध में बकस्वाहा में पेड़ों के नाम सरकार पर दबाव बनाने और कंपनी को ब्लैकमेल करने गांव में फैलाया जा रहा झूठ- शीलेन्द्र सिंह
छतरपुर। कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने लोगों से की अपील की झूठी बातों एवं भ्रामक खबरों में नहीं आएं। डायमण्ड प्रोजेक्ट में एक साथ नहीं, 12-15 वर्षों में आवश्कतानुसार काटे जाएंगे पेड़, डायमण्ड प्रोजेक्ट में पर्यावरण का पूरा ध्यान रखा गया है और 3.40 लाख पौधे रोपित करने के साथ-साथ कंपनी उनकी देख-रेख और पोषण का कार्य भी करेगी। जिस के लिए 16 करोड़ की राशि जमा की गई है। जिले के बकस्वाहा में प्रस्तावित एशिया की सबसे बड़ी हीरा खदान को रोकने के लिए पिछले दो महीने से पेड़ों के नाम पर एक सुनियोजित साजिश की जा रही है। पहले सोशल मीडिया के माध्यम से इस खदान के कारण काटे जाने वाले पेड़ों को मुद्दा बनाया गया तो वहीं अब खदान क्षेत्र के 15 गांव के लोगों को विस्थापित करने की अफवाहें फैलाई जा रही हैं। इस येाजना का विरोध स्थानीय स्तर पर नहीं हो रहा बल्कि विरोध के लिए दिल्ली, हरियाणा, पंजाब में बैठे लोग प्लानिंग कर रहे हैं। पिछड़े हुए बुंदेलखंड के यह परियोजना वरदान साबित हो सकती है इसीलिए अब परियोजना के समर्थन में भी स्थानीय स्तर पर कई लोग मुहिम शुरु कर रहे हैं।
परियोजना को लेकर फैलाया गया झूठ
1. इस परियोजना के कारण 2 लाख 15 हजार पेड़ एक साथ काटे जाएंगे।
2. परियोजना के कारण 15 गांव के लोगों को यहां से विस्थापित किया जाएगा।
3. उक्त परियोजना से पर्यावरण बिगड़ जाएगा।
4. परियोजना के कारण स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिलेगा।
5. पेड़ों से मिलने वाली ऑक्सीजन की कमी के कारण ही कोरोना में लोगों की मौत हुई।
परियोजना से जुड़े सच्चे तथ्य
1. उक्त परियोजना के अंतर्गत 382 हेक्टेयर क्षेत्र में मौजूद लगभग 2 लाख 15 हजार गैर संरक्षित वनों को एक साथ नहीं बल्कि 12 से 15 वर्षों में काटा जाना है।
2. पेड़ों की कटाई के पूर्व यहां 3 लाख 40 हजार पेड़ कंपनी के द्वारा लगाए जाने हैं। इसके लिए कंपनी 16 करोड़ रुपए की राशि भी जमा कर चुकी है। कंपनी को सिर्फ लगाने नहीं हैं बल्कि इनकी देखरेख की जिम्मेदारी भी अनुबंध के तहत पूरी करनी है।
3. सिर्फ इसी परियोजना से पर्यावरण बिगडऩे का आरोप सही नहीं है। केन्द्र सरकार की केन-बेतवा लिंक परियोजना में लाखों पेड़ काटे जाने हैं और फोरलेन परियोजना में भी कई पेड़ काटे गए हैं लेकिन चूंकि उक्त परियोजनाएं शासन के द्वारा स्वयं की जारही हैं इसलिए किसी पर दबाव बनाने हेतु संगठनों को मौका नहीं मिला।
4. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कंपनी से लिखित अनुबंध करने की बात कहते हैं, जिसके तहत इस परियोजना के अंतर्गत 75 फीसदी रोजगार स्थानीय लोगों को ही दिया जाएगा।
5. कोरोना वायरस के कारण लोगों के फेंफड़े ऑक्सीजन ग्रहण कर पाने में असमर्थ हो जाते हैं। संक्रमण के कारण उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है। इस बीमारी का वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन के कम होने या अधिक होने से कोई लेना देना नहीं है।
बकस्वाहा हीरा खदान से होने वाले फायदों पर चर्चा गायब: विधायक प्रद्युम्र लोधी
क्षेत्रीय विधायक प्रद्युम्र लोधी कहते हैं कि देश के कई आंदोलन जीवी संगठन और विरोधी विचारधारा के लोग सरकार पर दबाव बनाने और हीरे का उत्खनन करने जा रही एस्सेल माइनिंग कॉर्पोरेशन को ब्लैकमेल करने के लिए पेड़ों की आड़ लेकर एक सुनियोजित साजिश रच रहे हैं लेकिन इस परियोजना के कारण बकस्वाहा, छतरपुर एवं समूचे बुंदेलखंड को कितना फायदा होने जा रहा है इस पर बात नहीं की जा रही है। उन्होंने बिंदुवार तरीके से परियोजना के फायदे गिनाए।
1. इस परियोजना के कारण बकस्वाहा दुनिया के नक्शे पर आएगा क्योंकि यहां एशिया का सबसे अच्छा हीरा उपलब्ध होगा और यह दुनिया की 10 प्रमुख हीरा खदानों में से एक होगी।
2. परियोजना के कारण 2 लाख 15 हजार पेड़ काटे जाएंगे लेकिन कंपनी के द्वारा 3 लाख 40 हजार पेड़ लगाए जा रहे हैं जिसके लिए 16 करोड़ रुपए की राशि जमा की गई है जबकि कंपनी 200 करोड़ रुपए की राशि कैम्पा फंड के तहत जमा कराएगी जिससे लगभग 10 लाख पेड़ लगाए जाएंगे। वनीकरण के लिए इससे बड़ा उपाय क्या हो सकता है।
3. कंपनी सीएसआर फंड के तहत स्थानीय स्तर पर अंग्रेजी स्कूल, अस्पताल, सड़क बिजली और पानी से जुड़े बुनियादी विकास कार्य करेगी। साथ ही 75 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार देगी।
4. मध्यप्रदेश सरकार को इस परियोजना से लगभग 28 हजार करोड़ का राजस्व मिलेगा। इतनी बड़ी धनराशि प्रदेश के विकास पर खर्च होगी जबकि इसका 30 फीसदी डीएमएफ फंड के तहत छतरपुर जिले के विकास पर खर्च होगा। छतरपुर जिले के पास हीरे की खदान से हर वर्ष लगभग 200 करोड़ रुपए का फंड मौजूद रहेगा जिसे विभिन्न विकास कार्यों पर खर्च किया जा सकेगा।
5. हीरे की खदान शुरु होने से खजुराहो सहित मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर इसके कारोबार की शुरुआत हो सकेगी जिससे कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजित होंगे।