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पुलिस अधिकारी द्वारा अपने पद का गलत इस्तेमाल करना कब अपराध होता है जानिए/IPC….

कल के लेख में हमने आपको बताया था की किसी न्यायिक कार्यवाही के समय अगर कोई सरकारी अधिकारी आपने पद का गलत प्रयोग करके भ्रष्टाचार या भेदभाव में किसी आदेश, रिपोर्ट अभिमत आदि को गलत बनाकर न्यायालय में पेश करता है तब किसी निर्दोष व्यक्ति पर इसका गलत प्रभाव पड़े। उस समय उस अधिकारी पर किस धारा के अंतर्गत मामला दर्ज होगा इसकी जानकारी हमने पिछले लेख में दे चुके हैं। आज का लेख भी उसी धारा से संबंधित विस्तार है। आज के लेख में अगर कोई पुलिस अधिकारी अपने पद का प्रयोग भ्रष्टाचार या भेदभाव के लिए किसी व्यक्ति को जानते हुए की यह कार्य विधि के विरुद्ध है। ओर जबरदस्ती किसी व्यक्ति को गिरफ्तार या हिरासत में रखे। उस पुलिस अधिकारी का अपने पद का गलत उपयोग करना भी एक अपराध होता है।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 220 की परिभाषा:-★किसी लोकसेवक द्वारा यह जानते हुए कि ऐसा कार्य करना विधि के विपरीत है, किसी व्यक्ति को भ्रष्टाचार या भेदभावपूर्वक मुकदमे के लिए पेश किया जाना या  अवैध तरीके से गिरफ्तार करके हवालात, हिरासत में बन्द रखना उपर्युक्त धारा के अंतर्गत दण्डनीय अपराध होगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 220 में दण्ड का प्रावधान:-★इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है , यह असंज्ञेय एवं जमानतीय होते है। इनकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के द्वारा  की जाती हैं।सजा-  इस अपराध के लिए सात वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। 

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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