प्रशासन के पहुंचने से पहले भागे रेत माफिया, कार्यवाही करने पहुंचे अधिकारियों को घाट पर मिला सन्नाटा
छतरपुर। रेत के अवैध उत्खनन पर कलेक्टर शीलेंद्र सिंह के निर्देशन में प्रशासन ने छापामार कार्यवाही का निर्णय लिया था लेकिन इसकी भनक प्रशासन के पहुंचने से पहले रेत माफियाओं को मिल गई और वे मौके से भाग खड़े हुए। इतना ही नहीं अवैध उत्खनन में लगीं मशीनें और किश्ती भी छिपा दी गईं। कार्यवाही करने पहुंची टीम को छुटपुट रेत के ढेर के अलावा और कुछ भी हाथ नहीं लगा।जानकारी के मुताबिक क्षेत्र के लहदरा गांव से निकली धसान नदी पर बीते करीब एक वर्ष से रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन रेत माफियाओं द्वारा कराया जा रहा है। यहां नाव और किश्ती के सहारे नदी में लिफ्टर लगा कर उत्खनन किया जाता है और इसके बाद सैकडों ट्रैक्टरों के माध्यम से रेत का परिवहन किया जाता है। यह रेत एमपी और यूपी दोनों स्थानों पर बेची जाती है। सूत्रों की मानें तो इस कारोबार को पुलिस और खनिज विभाग द्वारा जानबूझकर नजरंदाज किया जाता है अन्यथा इतने बड़े पैमाने पर रेत का यह अवैध कारोबार संचालित नहीं हो सकता। रेत माफियों ने मडोरी से चपरन-खजवा पुल के पास एक कच्ची सड़क का निर्माण कर लिया है जहां से रेत से भरे ट्रैक्टर सीधे सरसेड़ होते हुये हरपालपुर पहुंचते हैं। शनिवार को कार्यवाही करने पहुंचे नौगांव एसडीएम विनय द्विवेदी, तहसीलदार पीयूष दीक्षित, नायब तहसीलदार झाम सिंह, सदर पटवारी हरनारायण शर्मा, गोपाल मिश्रा, पंकज दुबे, सुधीर चतुर्वेदी और आशीष पान्डेय लहदरा घाट पर करीब एक घंटे तक रुके रहे लेकिन उनके हाथ खाली रहे। बताया जा रहा है कि रेत माफियाओं को कार्यवाही की भनक पहले लग गई थी जिस कारण अधिकारियों के पहुंचने से पहले माफिया नदी में लगे लिफ्टर, किश्ती और बालू के डंप उठाकर भाग खड़े हुए।