जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन व खनिज विभाग की मिली भगत से हो रहा है रेत का अवैध कारोबार
रेत माफिया कर रहे उर्मिल नदी का सीना छलनी
छतरपुर। जिले में रेत का अवैध कारोबार अब धड़ल्ले से चल रहा है। रेत ठेका निरस्त होने के बाद से पूरे जिले में रेत माफिया पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रेत माफियों को पुलिस और खनिज विभाग का पूरा संरक्षण है। दोनों विभाग की मिली भगत से रेत माफिया नदियों से रेत निकालकर डंप करने में लगे हुए हैँ। मिली जानकारी के अनुसार लवकुशनगर थाना के अंतर्गत अटकौहां चौकी के अंतर्गत हंसपुरा, देवीखेड़ा गांव के आसपास निकली उर्मिल नदी से रेत माफिया रात दिन रेत का अवैध उत्खनन कर जीवन दायनी उर्मिल नदी का सीना छलनी करने में लगे हुए हैं और जिला प्रशासन मूक वधिर बनकर तमाशवीन बना हुआ है। हालांकि समाचार पत्रों में लगातार समाचार छपने पर खनिज अधिकारी अमित मिश्रा और पुलिस विभाग के थाना प्रभारियों की संयुक्त टीम ने बीते रोज कई जगह छापामार कार्यवाही कर डंप की गई रेत की जब्ती की एवं कई मशीनों को भी जब्त किया लेकिन मौके पर रेत माफिया चकमा देकर फरार हो गए। रेत माफिया पोपलेन उतारकर रेत का भंडारण करने में लगे हुए हैं और इसके एवज में वह पुलिस एवं खनिज विभाग के अधिकारियों को प्रतिमाह मोटी रकम देते हैं। लवकुशनगर क्षेत्र में प्रतिदिन सैकड़ों ट्राला रेत का अवैध परिवहन होरहा है लेकिन इनके रोकने वाला कोई नहीं है। चांदी के जूता की दम पर यह रेत माफिया जिला प्रशासन को खुली चुनौती दिए हुए है और बालू का अवैध कारोबार ओवरलोडिंग कर बड़े बड़े ट्राला से उप्र की बड़ी बड़ी सिटियों में भेजा जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार छतरपुर जिले में जो रेत ठेकेदार ठेका लिए था उसका ठेका निरस्त होने के बाद उनके गुर्गे ही पूरे जिले में अवैध रेत का कारोबार कर रहे हैं। छतरपुर शहर में गायत्री मंदिर के पास प्रतिदिन सैकड़ों ट्रेक्टरों का आना और रेत का व्यापार होना जिला प्रशासन की निष्पक्ष कार्यवाही पर प्रश्र चिन्ह लगाता है। जिले के कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह और पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा के भी ऊपर आरोप लग रहे हैं कि रेत माफियों से सांठगांठ होने के कारण इन रेत माफियों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। हालांकि इस संबंध में खनिज अधिकारी अमित मिश्रा का कहना है कि रेत का अवैध व्यापार करने वालों के खिलाफ लगातार नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है और जिले में चोरी छिपे रेत का कारोबार हो रहा है। लेकिन खनिज विभाग में स्टाफ की कमी होने के कारण सभी जगह एक साथ पहुंचना संभव नहीं है। फिलहाल छतरपुर जिले में रेत का जो व्यापार अवैध रूप से फलफूल रहा है उसका जिम्मेदार आखिरकार कौन है। सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लग रहा है। मजेदार बात ये है कि लगातार समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित होने के बाद भी रेत का अवैध कारोबार रोकने में जिला प्रशसन एवं पुलिस प्रशासन नाकाम सिद्ध हो रहा है।