छतरपुर जिले में चेकडेम घोटाला-करीब 40 करोड़ को हजम कर डकार तक नहीं

ईमानदारी की बहती कथित गंगा में बेईमानी का वह दर्पण छतरपुर जिले के करोडो रूपये के चेक डेम घोटाले में देखने को मिला हैं जिससे ईमानदारी को भी शर्म आने लगी हैं। मनरेगा के तहत चेकडेम निर्माण में सरपंच-सचिव और सम्बंधित अधिकारियो के आंतरिक मिलमिलाप ने करीब 40 करोड़ रूपये को स्वाहा करते हुए मप्र के उन घोटालो की फेहरिस्त में अपना नाम जुड़वा लिया, जिन्हे भ्र्ष्टाचार के सबूत बाद भी दबा दिया गया हैं। चौकाने वाला हैं कि इस घोटाले को लेकर हंगामा मचा हैं पर जिले के कलेक्टर, जिला पंचायत के सीईओ की संदेहास्पद चुप्पी बनी हैं। तभी सवाल उठते हैं कि अगर ईमानदारी की बीन बजाने वाले जिम्मेदार अधिकारियो के आचरण इस तह तक बेईमान होंगे तो ईमान की संज्ञा के उदाहरण कौन होंगे।

इस घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने के लिये लोकजनशक्ति पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष लखन लाल अनुरागी ने सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी हैं जिन दस्तावेज आधार पर वह लोकायुक्त में शिकायत करेंगे।इस महा घोटाले के बारे में जानकारी अनुसार जिले में मनरेगा के तहत लगभग 400 चेकडेम स्वीकृत किए गए थे। इन चेकडेमों में जो स्टीमेट उपयंत्रियों के द्वारा बनाए गए थे, उन सभी के स्टीमेट लगभग एक से हैं। जिनकी औसतन लागत 14 लाख 90 हजार से 98 हजार तक बताई गई है। चौकाने वाला तथ्य हैं कि चेकडेम स्वीकृत किए गए हैं उनकी नस्तियां जिलापंचायत कार्यालय की मनरेगा शाखा में उपलब्ध नहीं हैं। ग्रामीण यांत्रिकी विभाग में केवल 90 चेकडेमों की सूची उपलब्ध है। मप्र के पंचायत एवं ग्रामीण विभाग के राज्य मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने सरकार को चूना लगाने वाले महाघोटाले की जाँच के लिये पिछले माह एक जांच कमेटी गठित की थी। इस कमेटी में कार्यपालन यंत्री आरईएस जेपी आर्य, आरईएस के एसडीओ यासीन खान, उपयंत्री आरके अवस्थी और पूर्व विधायक आरडी प्रजापति को शामिल किया गया था । आरोप लग रहे हैं कि यह कमेटी भी सिस्टम का शिकार हों गई। यह भी कहा जा सकता हैं कि घोटाले की रकम का विकेंद्रीयकरण होते ही पूरा मामला दबा दिया गया हैं। जो जाँच कमेटी जाँच के लिये बनाई गई थी वह ख़ुद जाँच के दायरे में हैं। कुछ आरोप तो यहाँ तक लग रहे संत्री से लेकर मंत्री तक को साध लिया गया हैं।इस मामले में लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष लखन लाल अनुरागी ने आरोप लगाया हैं कि करीब 40 करोड़ का घोटाला हुआ हैं। उन्होंने बताया कि छतरपुर जिले के आठो विकास खण्डों के पंचायतो मे वित्तीय वर्ष 2020 – 21 मे मनरेगा योजना से कार्यालय मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत छतरपुर से चैकडेम स्वीकृत किये है। सूत्रों के अनुसार प्रत्येक चैकडेम की तकनीकी स्वीकृत 14 लाख 99 हजार है। जिले मे 400 चैकडेम स्वीकृत किये गये है। श्री अनुरागी ने घोटाले की गणित बताते हैं कि एक चैकडेम की 1499000 लागत हैं और 400 चेकडेम बनाये गये जो कुल रकम करीब 60 करोड़ होती हैं। जबकि फील्ड पर बनाये गये चैकडेम वास्तविक लागत 03 लाख से 05 लाख रूपये के मध्य होगी। जिस पर अनुमानित निर्माण खर्च 20 करोड़ होगा। इस तरह 40 करोड़ रूपये का शुद्ध गबन किया गया। अनुरागी ने बताया कि प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर्ता, कार्यालय अपर कलेक्टर (विकास) एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत छतरपुर मध्यप्रदेश ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदन दिनांक 08/04/2021 पर आज तक कोई जानकारी नहीं दी गई हैं। इस मामले की अब लोकायुक्त में शिकायत की जा रही हैं।मप्र में कई ऐसे चर्चित घोटाले दबा दिये गये जिसमे बड़ी मछलियों के फॅसने की शंका थी। जिले के चेकडेम घोटाले में भी छतरपुर के बनावटी ईमानदार अधिकारियो औऱ अन्य सफ़ेदपोश आरोपों के घेरे में हैं।