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गरीबों के निवाले पर डाका! हर महीने हजारों क्विंटल पीडीएस राशन की हो रही कालाबाजारी..

असाटी राइस मिल में बिना लाइसेंस ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर हो रही थी चावल की पैकिंग
6 विभागों की संयुक्त कार्यवाही के बाद अब तक नहीं हुई दर्ज एफआईआर, कार्यवाही पर लगे सवालिया निशान
सुविधा शुल्क के चलते फूड सेफ्टी विभाग असाटी राइस मील के सामने नतमस्तक 

छतरपुर। छतरपुर जिले में गरीबों को मिलने वाले गेहूं, चावल की तस्करी जमकर हो रही है और खाद्य विभाग के अधिकारी कुंभकर्णी नींद में हैं। कुछ दलाल शासकीय राशन दुकानों से चावल खरीद कर सीधे उसे राइस मिलों में बेंच रहे हैं और राइस मिल संचालक द्वारा विभिन्न ब्रांडों के नाम पर महंगे दामों पर बेचा जा रहा था। गणेश असाटी का यह कृत्य मानव जीवन के साथ खिलवाड़ था। खाद्य सुरक्षा अधिकारी अमित वर्मा ने दावा किया है कि गोदाम में नामी कंपनियों के रैपर में लोकल चावल और पोहा की पैकिंग की जा रही थी। एसडीएम के नेतृत्व में राजस्व, नागरिक आपूर्ति, वेयर हाउस कार्पोरेशन, जिला आपूर्ति अधिकारी, खाद्य एवं सुरक्षा विभाग और नगरपालिका द्वारा की गई कार्रवाई के दौरान हजारों क्विंटल चावल मिला। गढ़ीमलहरा के व्यापारी के अनुसार बिल्टी बनाकर दी गई है। लेकिन फूड इंस्पेक्टर का कहना है कि यह बोरियां कैमूर से आई हुईं हैं। जांच का विषय यह है कि पीडीएस का चावल कैसे पहुंच गया और बोरियों की अल्टा पल्टी भी की गई है। कागज प्रस्तुत न कर पाने से प्रथम दृष्टया यह चावल पीडीएस का समझ में आया है।

बिना लाइसेंस के चल रहा था गोरखधंधा
गणेश असाटी जिस मिल के माध्यम से लाखों बोरी चावल बेच चुके हैं उसी मिल के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया गया है। तहसीलदार सुनील वर्मा ने बताया कि 2020 के बाद मिल के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं हुआ है। पिछले 3 सालों से यह मिल फूड सेफ्टी ऑफिसरों की मिलीभगत से बे रोक-टोक चल रही है। तहसीलदार सुनील वर्मा ने डायवर्सन टैक्स 8 लाख रूपये वसूले जाने एवं 420 का मुकदमा कायम करवाने की बात जरूर कही है लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

शहर में कहने के लिए तो फूड सेफ्टी विभाग संचालित है, जिसकी जवाबदारी है खाद्य पदार्थों की समय-समय पर जांच कर कार्रवाई करे। लेकिन इस विभाग के अधिकारी लोगों के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। क्योकि शहर में जगह-जगह बिना लाइसेंस के खाद्य पदार्थों की बिक्री फर्जी लेविलों के आधार पर चल रही है। लेकिन फूड सेफ्टी विभाग के अधिकारी जानकर भी अनजान बने हुए हैं और सुविधा शुल्क लेकर अवैध कार्य करने वालों को खुली छूट दी जा रही है।

ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर हो रही पैकिंग
फूड सेफ्टी ऑफिसर ने बताया कि बड़ी मात्रा में खुले चावल और कई प्रदेशों की नामचीन कंपनियों के नाम की बोरी और रैपर पाए जाने से यह आशंका है कि लोकल राइस की इनमें पैकिंग की जा रहीं थी। खाद्य पदार्थ के 5 सैंपल खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने मिलावट के संदेह पर खुले चावल, किचन किंग राइस, देवभोग प्रीमियम बासमती राइस, सरटेक्स राइस, श्रेयांश भोग 24 कैरट बासमती राइस, माता का आशीर्वाद प्रीमियम पोहा के सैंपल लिए हैं। उक्त नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए हैं।

स्टॉक दिखाया कम, कार्यवाही पर लग रहे सवालिया निशान
असाटी राईस मिल में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने स्टॉक का ब्यौरा तैयार किया जिसमें गेहूं, चावल और पोहा का लगभग 5 हजार क्विंटल भंडारण तो बताया गया लेकिन पीडीएस की बोरियों की संख्या नहीं बता पाए जबकि प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो 5 हजार क्विंटल से अधिक भंडारण गोदाम में किया गया है। गोदाम में भंडारित गेहूं, चावल और पोहा का स्टॉक वैध है या फिर अवैध यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। वहीं इस कारोबार में जिले के कई अधिकारी भी लिप्त बताए जाते हैं। आडियो रिकार्डिंग से मिली जानकारी अनुसार चावल मिल के मालिक पर कार्यवाही न करने के एवज में मिल मालिक से मोटी रकम वसूल की गई है। हालांकि आज सुनील वर्मा तहसीलदार और फूड सेफ्टी ऑफीसर अमित वर्मा को कई बार फोन से संपर्क किया गया लेकिन उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया। फूड सेफ्टी ऑफिस में दिनभर ताला लटकता मिला एवं शहरी फूड सेफ्टी आफिसर वेदप्रकाश चौबे ने पन्ना में होने की बात कहकर अमित वर्मा से जानकारी लेने की बात कही गयी। इस मामले के बाद फूड सेफ्टी की लापरवाही खुलेआम देखने को मिली है साथ ही फूड सेफ्टी विभाग पर लाखों रुपए लेन देन के आरोप भी लग रहे हैं।

इनका कहना है –
मामला गंभीर है जो भी अधिकारी लिप्त पाए जाएंगे, उनकी भी जांच कराई जाएगी और कार्यवाही की जाएगी।
ओ.पी. सकलेचा
प्रभारी मंत्री, छतरपुर

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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