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घर से भागी 2 लड़कियों को भोपाल में ऑटो चालक ने बचाया, मॉडल बनने जबलपुर से पहुंची थी भोपाल…

भोपाल मॉडल बनने के लिए घर से निकली दो बहनों को ‘रीयल हीरो’ ने बचा लिया। दोनों बहनें जबलपुर से भोपाल पहुंच गईं। ISBT बस स्टैंड पर पहुंचकर यहां से होटल जाने के लिए ऑटो किराए पर लिया। दोनों की स्थिति को देखते हुए ऑटो ड्राइवर समझ गया कि मामला कुछ गड़बड़ है। उसने समझदारी दिखाते हुए होटल ले जाने की जगह उन्हें गोविंदपुरा थाने ले गया। यहां उनके परिजनों का पता लगाया। उन्हें जबलपुर के एक NRI दंपती ने गोद लिया था। उन्होंने दंपती को सूचना दी। इसके बाद भोपाल पहुंचे पिता को दोनों बच्चियों को सौंप दिया। बच्चियां मिलने पर पिता ने कहा- मेरे पास पुलिस और ऑटो रिक्शा चालक की तारीफ में कहने के लिए शब्द नहीं हैं। बच्चियों को बचाने वाले ऑटो चालक और पुलिस के लिए उनकी मां ने एक चिट्‌ठी लिखकर धन्यवाद दिया।

गोविंदपुरा थाने की ऊर्जा डेस्क लिंक प्रभारी सोनिया पटेल ने बताया कि बुधवार शाम करीब 7 बजे पिपलानी में रहने वाले ऑटो रिक्शा चालक किशोर चौहान दो बच्चियों को लेकर पुलिस थाने पहुंचे। उन्होंने बताया कि यह दोनों बच्चियां ISBT पर मिली थीं। यह दोनों भोपाल के किसी होटल में ठहरना चाह रही थीं। शंका होने के कारण मैं उन्हें यहां ले आया हूं।

ऊर्जा डेस्क प्रभारी रामकुमार धुर्वे ने बताया कि बच्चियों को पहले बैठाकर दोस्तों की तरह बात की गई। उसके बाद उनके बारे में पूछा। काफी कोशिशों के बाद उन्होंने अपने बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वे घर से सोने के जेवर और नकद लेकर आई हैं। वे मुंबई जाना चाह रही थीं। उन्हें लगा कि मुंबई पहुंचकर वे मॉडल बनेगी, लेकिन बस में बैठकर भोपाल आ गईं।

मुंबई जाने की जगह भोपाल आ गईं

सोनिया ने बताया कि बच्चियों से उनके माता-पिता के बारे में जानकारी ली गई। रात को ही उनके पिता अनूप अग्रवाल से संपर्क किया गया। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी स्नेहा और वर्षा घर से गुस्से में निकल गई हैं। उनकी गुमशुदगी पुलिस थाने में भी दर्ज कराई है। पुलिस ने बच्चियों की उनसे बात भी करवाई। गुरुवार दोपहर तक अनूप अग्रवाल भोपाल आ गए। दोनों बेटियां घर से करीब 19 हजार रुपए नकद, सोने के जेवर और ATM कार्ड लेकर आ गई थीं। पुलिस ने पूरा सामान उन्हें सौंप दिया है।

बचपन में गोद लिया था

अनूप ने बताया कि दोनों बच्चियों को बचपन में ही गोद में ले लिया था। बड़ी बेटी वर्षा जब पांच साल की थी, तब उन्होंने उसे मातृछाया जबलपुर से गोद लिया था। वहीं, छोटी बेटी स्नेहा को चार साल की उम्र में गोद में लिया था। वे अपनी बेटियों से बहुत प्यार करते हैं। पुलिस ने बच्चियों को अच्छे से समझाइश दी है। हमें उनसे कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने भी माना कि अब वे दोबारा बिना बताए कहीं नहीं जाएंगी।

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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