प्राचार्य डॉ. एन.पी. निरंजन की सेवाएं समाप्त हुई

छतरपुर। परीक्षा की कॉपियों को बदलने के मामले में 16 साल की सजा पा चुके नौगांव नवीन कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. एनपी निरंजन की सेवाएं उच्च शिक्षा विभाग ने समाप्त कर दी है। पंचम अपर सत्र न्यायाधीश छतरपुर ने वर्ष 2007 के मामले में दोषी पाए जाने पर निरंजन को 5 मार्च 2020 को 16 साल की कैद की सजा सुनाई थी। सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशानुसार सजायाफ्ता व्यक्ति को पद पर नहीं रखा जा सकता है। इसलिए उच्च शिक्षा विभाग ने पीएससी से अनुमति लेने के बाद 15 जुलाई 2021 को अवर सचिव उच्च शिक्षा विभाग वीरन सिंह भलावी ने आदेश जारी कर डॉ. निरंजन को पद से हटाकर उनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं।बीएससी, बीए, एमए की 15 विषयों की परीक्षाओं की 361 कॉपियों को बदलने के मामले में पंचम अपर सत्र न्यायाधीश आरएल शाक्य की अदालत ने नौगांव शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य व तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य शासकीय कॉलेज हरपालपुर के प्राचार्य डॉ. एनपी निरंजन को 7 साल की सजा 5 मार्च 2020 को सुनाई गई थी। कोर्ट ने धारा 420, 467, 471,468 में अलग-अलग कुल 16 साल की सजा और 2 लाख 10 हजार का जुर्माना लगाया था।शासकीय महाविद्यालय हरपालपुर को मुख्य परीक्षा 2007 का परीक्षा केंद्र बनाया गया था। परीक्षा केंद्र के अधीक्षक डॉ. एनपी निरंजन प्रभारी प्राचार्य शासकीय महाविद्यलाय हरपालपुर को नियुक्त किया था। जिनकी जिम्मेदारी में समस्त परीक्षा होनी थी। उत्तर पुस्तिकाओं का लेखा जोखा, प्रश्न पत्रों का संपूर्ण हिसाब दिया जाना की जिम्मेदारी डॉ. निरंजन की थी। लेकिन डॉ. निरंजन के द्वारा एक ही रोल नंबर की दो उत्तर पुस्तिकाएं जमा की, जिसपर कुल सचिव द्वारा जांच समिति गठित की गई थी। जांच में सामने आया कि परीक्षा हस्ताक्षर सीट में दर्ज उत्तर पुस्तिकाओ के सरल नंबर और मुख्य उत्तर पुस्तिकाओ के सरल नंबर अलग अलग थे। परीक्षा भवन में छात्रो को दी गई उत्तर पुस्तिका को महाविद्यालय में बाद में बदल दिया गया और परीक्षा भवन से बाहर लिखी गई उत्तर पुस्तिका बंडल में रख दी गई। डॉ0 सुभाषचंद्र आर्य उप कुलसचिव हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के परीक्षा गोपनीय विभाग में पदस्थ थे। जिन्होनें शासकीय महाविद्यालय हरपालपुर में आयोजित वर्ष 2007 की मुख्य परीक्षा में की गई अनियमितताओं की जांच में गड़बड़ी पाए जाने के हेराफेरी और अनियमितता में रुपयों का भारी लेनदेन की संभावना को देखते हुए हरपालपुर थाना में अपराध क्रमांक 174/2008 दर्ज कराया था। जिसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने 16 साल की सजा सुनाई थी।