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ज्योतिरादित्य को 1 लाख वोटों से हराने वाले गुना सांसद केपी यादव ने गुलदस्ता देकर मंत्री बनने की दी बधाई…

दिल्ली से दिचलस्प नजारा सामने आया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया से केपी यादव की मुलाकात की। तीन साल में यह दोनों की पहली सीधी मुलाकात है। इसमें वे गर्मजोशी से मिलते दिख रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा के केपी यादव ने ही गुना सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी ज्याेतिरादित्य सिंधिया 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। भाजपा में शामिल होने के बाद सिंधिया चंबल-ग्वालियर दौरे पर तमाम जगह गए, लेकिन सांसद केपी से नहीं मिले। केपी ने उनसे शुक्रवार को दिल्ली मुलाकात करके गुना में हवाई सेवा शुरू करने के लिए एक पत्र भी सौंपा। 

केपी यादव 2019 के लोकसभा चुनाव में पिक्चर में आए थे। जब उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने गुना संसदीय सीट से सिंधिया के खिलाफ मैदान में उतारा था। एक समय सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि रहे केपी यादव का कद उस समय और बढ़ गया। जब उन्होंने इस चुनाव में सिंधिया को एक लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया। किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी कि एक समय सिंधिया के साथ सेल्फी लेने वाला कार्यकर्ता ही उन्हें पटखनी दे देगा। सिंधिया की ये हार पूरे देश में इसी कारण से चर्चा का विषय बनी थी कि उनके ही पूर्व कार्यकर्ता ने उन्हें इतनी बुरी तरह से हरा दिया। 2014 की मोदी लहर में सिंधिया अपनी सीट बचाने में कामयाब हुए थे। उस समय उन्होंने भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया को हराया था।

कभी थे सिंधिया के करीबी थे केपी

सांसद केपी यादव सिंधिया के करीबी माने जाते थे। मुंगावली जिला पंचायत में वे कई सालों तक ज्योतिरादित्य सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि रहे। उनके पिता रघुवीर यादव का भी सिंधिया परिवार से करीबी रिश्ता रहा है। पहले स्व. माधवराव सिंधिया और उनके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के भी वे करीबी बने रहे। अपने पिता की तरह ही केपी यादव भी सिंधिया परिवार के वफादार बने रहे और हमेशा उनके लिए काम भी करते रहे। साल 2015 में यादव को श्रीमंत सिंधिया फैंस क्लब मध्यप्रदेश का प्रदेश उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था।

मुंगावली उपचुनाव में बिगड़ी बात

एक समय सिंधिया के खास रहे केपी यादव से तल्खियां उस समय बढ़ गई। जब यादव ने मुंगावली उपचुनाव में कांग्रेस से टिकट मांगा। 2018 में महेंद्र सिंह कालूखेड़ा के निधन से यह सीट खाली हुई थी। उपचुनाव में यादव ने अपनी दावेदारी सिंधिया के सामने पेश की, लेकिन इस उपचुनाव में बृजेन्द्र सिंह यादव को कांग्रेस से टिकट दे दिया गया था। इस उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। इसी के बाद से दोनों के बीच मनमुटाव शुरू हुआ था। केपी यादव ने कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा का हाथ थाम लिया था।

पिता के निधन पर सिंधिया से आने का किया मना

2019 में भाजपा ने यादव को सिंधिया के खिलाफ अपना प्रत्याशी बनाया। लोकसभा चुनाव में उन्होंने सिंधिया को बुरी तरह हराया। इसके बावजूद भी कुछ दिन बाद अपने अशोकनगर दौरे के दौरान सिंधिया ने उनके पिता के निधन पर घर जाकर शोक संवेदनाएं व्यक्त करने का कार्यक्रम बनाया। दोनों की तल्खियां किस हद तक बढ़ चुकीं थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केपी यादव ने सिंधिया को घर आने से मना कर दिया। उन्होंने कुछ ऐसा बयान दिया कि सिंधिया को उनके घर जाने का कार्यक्रम निरस्त करना पड़ा।

योगी ने किया था प्रचार

केपी यादव को 2019 के चुनाव में भाजपा से टिकट मिलने के बाद पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सीएम शिवराज सिंह चौहान, स्मृति ईरानी तक यादव के प्रचार के लिए संसदीय क्षेत्र में पहुंचे थे। उस वक्त भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच मे यह बात कही जा रही थी कि कैसे भी करके सिंधिया जी को हराओ। क्योंकि वो हारेंगे तो भाजपा में आएंगे और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर जाएगी। इसी बात का प्रचार भी भाजपाइयों ने खूब किया। वहीं कांग्रेस इस मुगालते में रही कि गुना से कोई सिंधिया को नहीं हरा सकता।

फिर बदल सियासी समीकरण

2020 मार्च में एक बार फर सियासी समीकरण बदल और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक मंत्रियों और विधायकों के साथ भाजपा की सदस्यता ले ली। भाजपा ने भी उन्हें हाथों-हाथ लिया और खूब तरजीह दी। इसके बाद से ही अंदाजा लगाया जाने लगा था की अब केपी यादव का क्या होगा। वे जिनके खिलाफ चुनाव जीते, अब उन्हें ही भाजपा ने अपने सर-आंखों पर बैठा लिया है। ऐसे में अब यादव की अहमियत कम होगी। हुआ भी वही। पिछले एक वर्ष में सिंधिया और उनके समर्थकों को जितनी तरजीह दी जाने लगी, उसकी थोड़ी सी भी तरजीह सांसद केपी यादव को नहीं मिली।

2020 उपचुनाव में नहीं आए सिंधिया के सामने

सिंधिया और उनके समर्थकों के भाजपा में आने के बाद उपचुनाव के दौरान भी सांसद केपी यादव नदारद रहे। वे किसी भी सीट पर कार्यक्रम में सामने नहीं आए। चाहे अशोकनगर की बात हो या गुना और शिवपुरी में विधानसभा सीटों की बात हो, उन्होंने कहीं भी सिंधिया के साथ भाजपा का प्रचार नहीं किया। कि बार सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साथ मे प्रचार किया। इसमें तमाम मूल भाजपा के नेता शामिल हुए, लेकिन सांसद केपी यादव किसी भी मंच पर नहीं दिखे। उन्होंने चुनाव प्रचार से हमेशा दूरी बनाए रखी।

3 साल बाद पहुंचे मिलने

सिंधिया से मनमुटाव के बाद लगभग 3 साल बाद केपी यादव ने उनसे मुलाकात की। शुक्रवार को वे दिल्ली में सिंधिया से मिलने पहुंचे। उन्होंने मुलाकात के बाद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। अपने ट्वीट में सिंधिया के साथ दो फ़ोटो डालते हुए उन्होंने लिखा- “संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए हरसंभव प्रयास मेरा प्रथम कर्तव्य है। मेरे संसदीय क्षेत्र गुना में नागरिकों के लिए नियमित हवाई सेवा उपलब्ध हो सके, इसलिए मेरे प्रयासों में मैंने पूर्व में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पूरी से मांग रखी है। इसी क्रम में आज केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी से सप्रेम भेंट कर गुना हवाई अड्डे पर नियमित हवाई सेवा की मांग की व केंद्रीय मंत्री नियुक्ति की बधाई दी।”

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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