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रेत माफिया खत्म कर रहे नदियों के तटबंध का अस्तित्व, हल्की बारिश में उर्मिल का तटबंध धंसा

छतरपुर। रेत माफिया चंद पैसे कमाने की लालच में नदियों के तटबंधों का अस्तित्व नष्ट करने में लगे हैं। चंूकि नदी के किनारे के क्षेत्र में भी बालू का कुछ अंश रहता है इसलिए रेत माफिया तटबंधों की खुदाई कर मिट्टी को पानी से धोकर बेचने में जुट जाते हैं। उर्मिल नदी के तटबंध को माफियाओं ने खोद डाला जिससे बीते दिनों हुई हल्की बारिश के कारण तटबंध का एक हिस्सा धंस गया। ओरछा रोड थाना अंतर्गत ग्राम हतना से निकली उर्मिल नदी के तटबंधों को रेत माफियाओं ने खोद डाला है। रेत की लालच में तटबंध में खदान बनाने के कारण उसका ऊपरी हिस्सा हल्की बारिश में भरभरा कर गिर गया। गनीमत यह रही कि जिस समय यह घटना हुई उस दौरान नदी के आसपास कोई नहीं था। अन्यथा की स्थिति में बड़ा हादसा हो सकता था। कुल मिलाकर नदियों के तटबंधों का अस्तित्व संकट में है। अवैध रूप से रेत का उत्खनन और परिवहन करने वालों के खिलाफ न तो पुलिस सटीक कार्यवाही करती है और न ही खनिज विभाग। विभागों की लापरवाही के कारण नदियों का तटबंध खत्म होता जा रहा है। यदि इसी तरह के हालात रहे तो भारी बारिश के दौरान बाढ़ जैसी स्थितियां निर्मित होना स्वाभाविक हैं। 

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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