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7 वर्ष से अधिक एवं 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे द्वारा किया गया अपराध, कब अपराध नहीं होगा जानिए/IPC..

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 82 स्पष्ट रूप से कहती है कि सात वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा किया गया अपराध सभी विधियों में क्षमा योग्य होता है। लेकिन सात वर्ष से अधिक और बारह वर्ष से कम आयु के शिशु का अपराध पूर्णतः क्षमा योग्य नहीं होता है यह अपराध बच्चे के समझ एवं नसमझ पर निर्भर करता है जानिए।


★भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा- 83 की परिभाषा★
सात वर्ष से ऊपर एवं बारह वर्ष से कम उम्र के शिशु द्वारा किया गया अपराध जब अपराध की श्रेणी में नहीं आया तब उसे यह जानकारी नहीं होगी कि उसके द्वारा किया गया कार्य कोई अपराध हो रहा है अर्थात उसकी  नासमझ द्वारा किया किया गया अपराध अपराध नहीं होगा।

इसे हम उदहारण के अनुसार समझते हैं- अगर कोई बालक आठ वर्ष का हैं उसको रास्ते में सोने की चेन मिल जाती है और वह उस चेन को उठा लेता है वह नहीं जानता कि अब उस चेन का वह क्या करे और वह उस चेन को अपनी माँ को दे देता है, जिस व्यक्ति की चेन गुम हुई है वह उसकी चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवा दे,तब बालक द्वारा उठाई गई चेन कोई अपराध नहीं होगी क्योंकि उसे समझ नहीं थी कि वह जो कर रहा है वह अपराध होगा। लेकिन वह बालक सोने की चेन को  बेच कर पैसो को खर्च कर दे तब बालक का ऐसा कार्य अपराध होगा वह किसी भी प्रकार से क्षमा योग्य नहीं होगा।


लेखक बी. आर.अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827738665

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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