डेली न्यूज़लीगल इनफार्मेशन

पागल व्यक्ति द्वारा कोई अपराध किया जाता है तब वह IPC की कौन सी धारा के अंतर्गत क्षमा योग्य होगा जानिए…

विकृत-चित्त(पागल) व्यक्ति वह व्यक्ति होता हैं जो मानसिक विकृति से पीड़ित होता है, इन व्यक्तियों को अच्छे-बुरे, सही-गलत में अन्तर समझ नहीं आता है। यह चार अवस्था में हो सकते हैं-

(1).  जड़-बुद्धि व्यक्ति(जन्म से ही पागल हो)।

(2). विक्षिप्त व्यक्ति(बीच-बीच में पागलपन के दौरे आना)।

(3). मानसिक दौर्बल्य(लंबी बीमारी के कारण पागल हो जाना)।

(4). मानसिक बीमारी।


उपर्युक्त व्यक्ति को दण्ड संहिता में विकृत-चित(पागल) व्यक्ति कहा गया है इनके द्वारा किया गया अपराध कब क्षमा योग्य होगा जानिए।

★भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 84 की परिभाषा★ कोई विकृत-चित व्यक्ति द्वारा किया गया अपराध अपराध नहीं माना जायेगा क्योंकि ऐसे व्यक्ति को अच्छे-बुरे की पहचान नहीं होती है न ही उनको कोई समझने की शक्ति होती है इस लिए ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया अपराध धारा 84 के अनुसार क्षमा योग्य होगा।
नोट:- शराब या नशीली चीज(गांजा, ड्रग्स आदि) करके किया गया अपराध किसी भी प्रकार से क्षमा योग्य नहीं है।


लेखक बी. आर. अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!