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कैंसर पीड़ित पति से बोली- भरण-पोषण नहीं दे सकता है तो किडनी बेच दे; कैंसर वाले तो 4 महीने में मर जाते हैं और तू 4 साल से जिंदा है…

भोपाल में पति-पत्नी के बीच भरण-पोषण का मामला फैमिली कोर्ट पहुंचा, तो महिला ने जमकर हंगामा किया। पत्नी ने कैंसर पीड़ित पति को भरण-पोषण नहीं देने पर किडनी बेचकर रकम चुकाने को कह दिया। वह यहीं नहीं रुकी और कहने लगी कि कैंसर वाले तो 4 महीने में मर जाते हैं और तू 4 साल से जिंदा है। यह कैसे हो सकता है?

पति ने मजबूरी बताते हुए कहा कि पैसा नहीं दे सकता, लेकिन अपना मकान, जिसके कहो उसके नाम पर कर देता हूं। काउंसलर सरिता रजानी ने बताया कि दोनों के बीच न्यायालय में भरण-पोषण का केस विचाराधीन है। यह काउंसलिंग का दूसरा दौर था।

महिला को घर लेने के लिए राजी किया है, लेकिन महिला मकान के साथ भरण-पोषण की रकम के लिए अड़ी हुई है। तीसरी सुनवाई के लिए दोनों पक्षों को फिर बुलाया है। पति को मकान के कागजात लेकर आने को कहा है। तीसरी काउंसलिंग के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।

यह है पूरा मामला

काउंसलर सरिता रजानी ने बताया कि करीब 8 साल पहले दोनों की शादी हुई थी। युवक स्ट्रीट फूड के काउंटर चलाता था। पहले दोनों के अच्छे संबंध रहे, लेकिन इस बीच युवक को कैंसर हो गया। करीब डेढ़ साल तक उसकी पत्नी ने उसका इलाज कराया।

पति का कहना है कि इलाज के दौरान झगड़ा होना शुरू हो गया। रोज-रोज के झगड़े के कारण वह शादी के 5 साल बाद पत्नी और 7 साल के बेटे को छोड़कर अपने पिता के घर आ गया। तब से वह बिस्तर पर है और उसका इलाज उसके पिता ही करा रहे हैं। इस बीच महिला ने भरण-पोषण के लिए न्यायालय में केस लगा दिया। सोमवार को दूसरी काउंसलिंग थी। दोनों पक्ष को कोर्ट बुलाया गया था। सुनवाई के दौरान महिला भरण-पोषण के लिए रुपए दिए जाने की जिद करने लगी।

इस तरह चला पूरा ड्रामा…

पति : मेरे पास पैसे नहीं है। मुझे कैंसर हो चुका है और मैं कहीं भी आ-जा नहीं सकता हूं। अब मैं क्या अपना शरीर बेच दूं?

पत्नी : हां, अपना अंग बेचकर हमको पैसे दो।

पति : तो फिर मेरे शरीर का क्या बिकेगा?

पत्नी : किडनी बिकती है।

पति : किडनी कौन खरीदेगा?

पत्नी : चल मेरे साथ। गाड़ी पर बैठ। मैं तेरी किडनी आधे घंटे में 2 लाख रुपए में बिकवा देती हूं। वही पैसे हमें दे देना।

पति : हां, चल। अभी बिकवा दे। इतना कहते हुए वह पहले तो उठा और फिर बैठ गया।

पत्नी : तू कुछ नहीं कर सकता। लोग तो कैंसर होने के बाद 4 महीने में ही मर जाते हैं और तू 4 साल से जिंदा है। मुझे मेरे पैसे चाहिए।

पति : मैं अपना मकान बेटे के नाम कर देता हूं। तब तो तू खुश होगी।

पत्नी : मकान तो सिर्फ रहने के लिए रहेगा। बेटे की पढ़ाई और हमारे जीवन के लिए पैसे चाहिए। भरण-पोषण तो देना होगा।

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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