हाई कोर्ट ने पत्नी की ख्वाहिश पर मरणासन्न कोरोना संक्रमित पति के स्पर्म लेने की अनुमति दी.. मंजूरी के बाद प्रोसेस शुरू…
मरणासन्न पति की आखिरी निशानी के लिए युवती की बड़ी पहल,
वडोदरा/अहमदाबाद, 21 जुलाई । स्थानीय स्टर्लिंग अस्पताल में भर्ती एक कोरोना संक्रमित मरीज का स्पर्म लेने के मामले में आखिरकार पत्नी का प्यार जीत गया। हाई कोर्ट ने पत्नी की मांग पर मृत्यु शैय्या पर लेटे एक युवक के स्पर्म लेने की अनुमति दे दी। इसके बाद में स्टर्लिंग अस्पताल ले युवक के स्पर्म संकलित किए गए। कोर्ट के आदेश के बाद इस स्पर्म से आईवीएफ प्रक्रिया के जरिए पत्नी मां बन सकती है।
‘मेरे पति मृत्यु शैया पर हैं। मैं उनके स्पर्म से मातृत्व सुख हासिल करना चाहती हूं, लेकिन कानून इसकी इजाजत नहीं देता। हमारे प्यार की अंतिम निशानी के रूप में मुझे पति के अंश के रूप में उनका स्पर्म दिलवाने की कृपा करें। डॉक्टरों का कहना है कि मेरे पति के पास बहुत ही कम वक्त है। वे वेंटिलेटर पर हैं।’
गुजरात हाईकोर्ट से ये गुजारिश की थी कनाडा की रहने वाली एक महिला ने जिसका ससुराल अहमदाबाद में है। महिला का पति जिंदगी के लिए लड़ रहा है। मंगलवार को हाईकोर्ट के सामने यह मामला सुनवाई के लिए आया तो अदालत कुछ पल के लिए तो हैरान रह गई। लेकिन महिला के उसके पति से प्यार की हद और कानून के सम्मान को देखते हुए कोर्ट ने महिला को को पति के स्पर्म लेने की मंजूरी दे दी।
कोर्ट की मंजूरी के बाद भी हालांकि स्टर्लिग अस्पताल (जहां महिला का पति भर्ती है) तुरंत तैयार नहीं हुआ और कहा कि कोर्ट के फैसले को समझ रहे हैं। स्टर्लिंग हॉस्पिटल के जोनल डायरेक्टर अनिल कुमार नांबियार का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद ही हमने तैयारी शुरू कर दी थी। मरीज मरणासन्न स्थिति में है। ऐसे में ब्लीडिंग रोकने और दूसरी बातों पर भी ध्यान देना पड़ता है।
डॉक्टरों के अनुसार मरीज कई गंभीर बीमारियों के चलते गहन उपचाराधीन है। उन्होंने बताया कि मरीज के बचने की कम संभावना को ध्यान में रखते हुए परिवार को इस संबंध में जानकारी देकर उनका मार्गदर्शन किया गया है। बाद में हाई कोर्ट के आदेश के बाद मरीज के शुक्राणु लिए गए हैं। मरीज के शुक्राणु का उपयोग करके आईवीएफ की प्रक्रिया से पत्नी मां बन सकेगी। अस्पताल के डॉक्टरों टीम ने बताया कि स्टर्लिंग अस्पताल के लिए यह पहला मामला है।