दुर्दशा का शिकार जिला अस्पताल: प्रबंधन की कमी से बिगड़े हालात
छतरपुर। छतरपुर का जिला अस्तपाल लगभग 30 करोड़ रूपए की लागत से बनाई गई पांच मंजिला इमारत में संचालित हो रहा है। सरकार ने भरपूर पैसा खर्च कर जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए। डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी को भी पिछले दिनों काफी हद तक पूरा कर दिया गया लेकिन सीएमएचओ डॉ. विजय पथौरिया और सिविल सर्जन डॉ. महेन्द्र गुप्ता की लापरवाही के कारण यह अस्पताल दुर्दशा का शिकार हो रहा है। गर्भवती महिलाएं, दिव्यांग सीढिय़ां चढऩे को मजबूरजिला अस्पताल की पांचों मंजिलों तक पहुंचने के लिए यहां दो लिफ्ट की व्यवस्था की गई थी लेकिन पिछले दो महीने से अस्पताल की लिफ्ट खराब पड़ीं हुई हैं। लिफ्ट के खराब होने से पहली मंजिल तक जाने वाली गर्भवती माताओं को भी सीढिय़ों से ऊपर जाना पड़ रहा है। इसी तरह कई दिव्यांग भी मुश्किल से इन सीढिय़ों पर चढ़कर ऊपर पहुंचते हैं। गंभीर मरीजों को ऊपर ले जाने के लिए उनके परिजन सीढिय़ों के बगल में बनाए जाने वाले स्ट्रेचर मार्ग का उपयोग करते हुए बाईक से उन्हें ऊपर ले जा रहे हैं।
परिसर को बना दिया वाहन स्टेण्ड, बाहर एंबुलेंस माफियाओं का डेरा

जिला अस्पताल के स्टाफ ने अपने वाहनों की सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए इन्हें अस्पताल के भीतर ही रखना शुरू कर दिया है। अस्पताल के बाहर पुराने रेडक्रॉस भवन के आसपास पड़े खाली मैदान का उपयोग कुप्रबंधन के कारण पार्किंग के लिए नहीं हो पा रहा है। मरीजों के परिजनों की पार्किंग मंदिर के बगल से पुराने अस्पताल की ओर जाने वाले मार्ग में हो रही है। कई प्राइवेट एंबुलेंस संचालक अपनी गाडिय़ों को भी अस्पताल के भीतर ही पार्क कर रहे हैं जबकि इसको लेकर पिछले दिनों कलेक्टर ने नाराजगी जताई थी।
ओपीडी में फिर होने लगी लापरवाही

जिला अस्पताल में सुबह 8 बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक डॉक्टरों के बैठने के निर्धारित समय पर फिर से लापरवाही देखने को मिल रही है। कई डॉक्टर ओपीडी में समय से नहीं पहुंच रहे हैं जबकि कुछ डॉक्टर एक या दो घंटे रूककर यहां से रवाना हो जाते हैं और अपने निजी क्लीनिक पर मरीजों को देख रहे हैं। इस तरह की लापरवाहियेंा के कारण आम जनता बुरी तरह परेशान है।