प्रसव पीड़ा में तड़प रही थी महिला, झोली में लटका कर 8 किमी तक पैदल चले परिजन
बड़वानी. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh News) के बड़वानी जिले से शर्मसार करने वाली खबर है. यहां एक 21 साल की महिला प्रेग्नेंट थी, लेकिन उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने के लिए कोई सुविधा नहीं थी. यहां तक कि एंबुलेंस तक जाने के लिए भी 8 किमी तक चलना पड़ा. महिला को उसके परिजन कंधों पर लटकाकर 8 किमी दूर तक ले गए. गांव में बीमार लोगों को यही तरीका अपनाना पड़ता है.
यह मामला पानसेमल जनपद पंचायत का है. इस जनपद पंचायत के अंतर्गत एक गांव है खामघाट फिलए. यहां न पुलिया है, न कोई सड़क. यहां रहने वाली 21 साल की सुनीता मुजाल्दे पति आसू को शनिवार रात प्रसव पीड़ा हुई. महिला डिलीवरी के लिए मायके आई थी. उनके पिता राय सिंह पटेल ने 108 एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन वह घर तक नहीं आ सकी.
दो घंटे तक प्रसव पीड़ा में तड़पती रही महिला
पटेल ने बताया कि उनकी बेटी दो घंटे तक दर्द से तड़पती रही. जब परिवार को कोई दूसरी आस नहीं दिखाई दी तो सभी ने बेटी को झोली में डालकर 8 किमी दूर ग्राम आमझिरी तक जाने का फैसला किया. इसके बाद महिला को एंबुलेंस से पानसेमल अस्पताल पहुंचाया गया. सुनीता ने रात 8 बजे बिटिया को जन्म दिया.
ये कहा कलेक्टर ने
News 18 ने बड़वानी कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा से बात की तो उन्होंने इस पूरे मामले में भौगोलिक परिस्थितियों को बड़ी चुनौती बताया. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में ग्रामीण फलिया पद्धति में रहते हैं. इसके चलते इलाके में सीमित संख्या में लोगों के मकान होते हैं. यही कारण है कि हर एक फलिए में सड़क सुविधाएं मुहैया करा पाना मुश्किल है. फिर भी जिला पंचायत सीईओ ऋतुराज से इस मामले की जांच कराई जाएगी.
सड़क सुविधा पर किया जाएगा विचार- कलेक्टर
कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने कहा कि क्षेत्र की जनसंख्या के अनुरूप ज्यादा आबादी वाले क्षेत्रों को चिन्हित किया जाएगा. वहां किस तरह से सड़क सुविधा मुहैया कराई जा सकती है, इसको लेकर विचार किया जाएगा. कलेक्टर ने यह भी कहा कि जिले में विषम परिस्थितियों के बावजूद मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए मिशन ‘उम्मीद’ चलाया जा रहा है. इसके चलते ग्रामीण और तहसील स्तर पर एएनएम आशा कार्यकर्ता और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को संस्थागत प्रसव करने के लिए प्रेरित किया गया है.