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भय या भ्रम में दी गई स्वीकृत क्या क्षमा योग्य होगी जानिए/IPC…

आज हम आपको बताएंगे कि किसी भी प्रकार से कपट, भय, गुमराह करके ली गई सहमति क्या होती है,अगर कोई व्यक्ति स्वयं को डॉक्टर बताता है और मरीज का वइलाज करने की सहमति ले लेता है वास्तव में वह डॉक्टर नहीं डॉक्टर का कंपाउंडर होता है तब उसके द्वारा ली गई स्वीकृति अपराध होगी। अगर कोई व्यक्ति डर दिखा कर किसी व्यक्ति से स्वीकृति लेता है वह भी होगा। कोई व्यक्ति को जबरदस्ती शराब पिला कर सहमति ले ली जाएं वह भी अपराध हैं या किसी को भ्रम में डालकर कोई सहमति ले लेता है वह भी अपराध है अर्थात किसी भी तरह से गुमराह करके ली गई सहमति भारतीय दण्ड संहिता में किसी भी प्रकार से क्षमा योग्य नहीं हैं जानिए।

★भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 90  की परिभाषा★
अगर किसी व्यक्ति से डरा-धमका कर,किसी भी प्रकार का भय दिखा कर, किसी भी प्रकार से गुमराह या भ्रम में डाल कर या 18 वर्ष से कम व्यक्ति या कोई पागल व्यक्ति या किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध नशीली दवा पिलाकर ली गई सहमति धारा 90 के अंतर्गत अवैध होगी ऐसे किसी व्यक्ति को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 87,88,89 के अंतर्गत कोई बचाव नहीं दिया जाएगा।


:- लेखक बी. आर. अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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