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अस्वस्थता औऱ संघर्ष की दास्तां: वृद्धावस्था पेंशन से किराए के कमरे में गुजारा, मुश्किल से होता राशन का प्रबंध

Arib Khan Journalist Damoh

अब तक लिख चुकी है 150 से ज्यादा कविता और गीत

आकाशवाणी छतरपुर से एक बार मिला था कविता पाठ का अवसर

दमोह। बुजुर्गों के लिए वैसे तो बहुत सारे प्रावधान प्रशासन द्वारा किये जाते है फिर भी कुछ बुजुर्ग सुविधाओं के अभाव में आज भी दोयम दर्जे का जीवन जीने को मजबूर है और छुपी हुईं प्रतिभा भी सामने नहीं आ पाती है।  शहर के शोभानगर, फिल्टर के पास किराए से रहने वाली संध्या (गीता) ठाकुर की दास्तान भी कुछ ऐसी ही है जो पिछले 25 वर्षों से अकेली रहती है और बृद्धावस्था पेंशन के सहारे जीवन यापन कर रही है पर उसमें से भी अधिकतर राशि किराया देने में निकल जाती है जिनका स्वास्थ्य भी अब ठीक नहीं रहता। साहित्य के क्षेत्र में काफी रुचि रही पर बीमारी की वजह से लिखना कम कर दिया है पर अभी भी इनकी आवाज में मधुरता के साथ दर्द भी झलकता है। इन्होंने बताया कि वे 1990 से कविताएं औऱ गीत लिख रही है। पर अवसर नहीं मिला औऱ यह प्रकाशित भी नहीं हो पाई। रिश्तेदारों के बारे में बताया कि वे सब बाहर रहते है सबके परिवार है इसलिये उनमें से कुछ कभी कभी ही आते है। एक लड़की है जिसकी शादी कर दी थी पर शायद ससुराल वाले उसे यहां आने नहीं देते होंगे। जानकारी देते हुए इन्होंने बताया कि  समाज के लगभग हर पहलू पर 150 से ज्यादा कविता और गीत लिखे है आकाशवाणी, छतरपुर से एक बार कवितापाठ करने का मौका मिला और स्थानीय स्तर पर भी यदा कदा कविता सुनाई हैं।पर इन्होंने अभी भी हिम्मत नहीं हारी वे कहती है उनकी तमन्ना है कि उनकी कविताएं प्रकाशित हो जाएं। अब बीमारी के कारण लिखने में कठिनाई होती है पर अभी तक चश्मा नहीं लगता है कुछ दिन दूसरों के घरों में काम करने गए पर अब नहीं जाते है। राशन कार्ड है पर कभी भी पूरा राशन नहीं मिलता है। दुकानों से उधारी में सामान लाते है।इनकी कविता से भरी दो डायरी जिन्हें इन्होंने सम्भाल कर रखा है जिसमें एक कविता के अंश भी दिखाई दिए जहां लिखा था कि ‘गम की चिता पर देख ले दुनिया,जिंदा जलती लाश हूं, मैं ऐसी बेबस नारी,उसकी आत्मा की आवाज हूँ।बातचीत के दौरान इन्होंने एक गीत भी सुनाया जिसके बोल थे “क्यों दोष दें किसी को,नहीं दोष है किसी का,जब हमने लिए रे जन्म,ये दोष है जगह का,घुट-घुट के हम जी लेंगे,गम के आंसू पी लेंगे,किसे सुनाएं हाल, हम अपनी बेबसी का।

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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