बकस्वाहा में देश के कानून पर हावी कंपनी कानून : अमित भटनागर
साईकिल यात्रियों ने पांच दिन की यात्रा के बाद साझा किए कई चौकाने वाले अनुभव
छतरपुर// बकस्वाहा जंगल बचाओ आंदोलन के प्रवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर ने बताया कि बक्स्वाहा के जंगल को कटने से बचाने व बक्सवाहा के जंगलों में मिले पाषाण कालीन शैल चित्रो को तुरंत संरक्षित कर इन्हें विश्व स्मारक घोषित कराने के लिए लिए बक्स्वाहा जंगल बचाओ आंदोलन के बैनर तले छतरपुर से बक्स्वाहा के हीरा खनन प्रभावित गांवों तक पांच दिवसीय साईकिल यात्रा के बाद यात्रियों ने अपने अनुभव साझा किए। श्री अमित भटनागर के द्वारा प्रेस को जारी अनुभव में कई चौकाने वाली बातें सामने आयीं है। साइकिल यात्रियों का कहना है कि बुनियादी सुविधाओं तक से पूरी तरह वंचित इस क्षेत्र के लोगों का जीवन पूरी तरह जंगल पर आश्रित है, क्षेत्र के ज्यादातर लोग महुआ, चिरवा, तेंदू पत्ती, आंवला, बेल आदि वनोपज से अपनी आजीविका चलाते हैं, जो इनके जीविका का एकमात्र स्रोत है। लोगों के जानवर इन्हीं जंगलों में चराई आदि के लिए जाते हैं। हीरा कंपनी कई हजार लोगों के रोजगार व उनके जीवन का जरिया छीन कर महज 400 लोगों के रोजगार की बात कर रही है। बकस्वाहा के इस जंगलों में कई लाख पेड़ों के अलावा लताएं, झाड़, जड़ी-बूटियां झरने नदियाँ और पशु पक्षी कीट पतंगे आदि भी रहते हैं। इन जंगलों में पाषाणकालीन शैल चित्रों के साथ पाषाण कालीन पुरातात्विक महत्व के तालाब महल कुए मूर्तियां आदि भी हैं जिन्हें अभी पुरातत्व विभाग ने भी मान्यता दी है और विश्व धरोहर के लिए फ्रांस स्थित यूनेस्को कार्यालय को पत्र लिखा है। साथ ही यह जंगल, पन्ना नेशनल पार्क और नौरादेही अभ्यारण का सहायक जंगल भी है।
साईकिल यात्रियों ने बातया की पाँच की साईकिल यात्रा के दौरान लोगों से मिलकर पता लगा कि लोगों में जंगल के कटने को लेकर गहरी चिंता व आक्रोश है जिसे दबाया जा रहा है। कंपनी ने क्षेत्र के बेरोजगार युवकों व शरारती तत्वों को नौकरी व अन्य लालच देकर क्षेत्र में भय व हिंसा का माहौल खड़ा कर रखा है। साईकिल यात्रियों ने चिंता व्यक्त की कि स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधि लोक हित व लोक भवनाओं के विपरीत कंपनी के एजेंट के रूप में कार्य कर इस दहशतगर्दी को बढ़ावा दे रहे है। इस यात्रा में शामिल रहीं इंदौर की प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रहीं कुमारी बीनू बघेल व धार की सुनीता रावत का कहना कि वे यहाँ अपने देश के जंगल को कटने से बचाने के लिए यहां आई, वह बाहरी कैसे हो गई ? और कुछ लोग महिलाओं से शराब पीकर खुलेआम अभद्रता कर रहे है, धमका रहे है। हमने जिले के पुलिस अधीक्षक को पहले दिन ही ज्ञापन के माध्यम से हमारे साथ होने वाली घटना की आशंका से अवगत कराया था, यात्रा के नेतृत्वकर्ता अमित भटनागर द्वारा भी एसपी, एसडीएम महोदय को कॉल व संदेश के माध्यम से स्पष्ट जानकारी दी गई थी और पेपरों में भी हमारे साथ हुई अभद्रता को प्रकाशित किया था इसके बाद भी पहले दिन हमें पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के बाद पुलिस सुरक्षा हटा ली गई। यात्रा के मार्गदर्शक शरद सिंह कुमरे का कहना है कि कंपनी के गुंडों का मनोबल इतना बड़ा हुआ है कि उन्होंने, इन जंगलों में पाषाण कालीन शैल चित्रों का सर्वे करने आई पुरातत्व विभाग की केंद्रीय टीम को ही धमकी दे डाली। साईकिल यात्रियों ने चिंता व्यक्त की कि कंपनी द्वारा फैलाई जा रही दहशतगर्दी में विधायक, मंत्री, सांसद जैसे जनप्रतिनिधि व स्थानीय प्रशासन का शामिल होना आश्चर्य की बात है, साईकिल यात्रियों का कहना है कि वह इसकी प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर शिकायत करेंगें। साथ ही साईकिल यात्रियों ने बक्सवाहा के जंगल को बचाने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए कहा कि वह किसी भी तरह की दहशतगर्दी से डरने वाले नहीं हैं और बकस्वाहा के जंगलों को बचाने के लिए लगातार इस मुहिम को आगे बढ़ाते रहेंगे।
अमित भटनागर की नेतृत्व व शरद सिंह कुमरे के मार्गदर्शन में निकाली पांच दिवसीय साईकिल यात्रा में सामाजिक कार्यकर्ता राजेश यादव, बिहार से पर्यावरण बचाओ अभियान के कोर कमेटी सदस्य चंदन यादव, जबलपुर के नीसू मालवीय, इंदौर की कुमारी बीनू बघेल, धार से सुनीता कालमे, धार के आयुष रावत एवं बकस्वाहा जंगल बचाओ आंदोलन छतरपुर के प्रमुख सदस्य बहादुर आदिवासी, भगतराम तिवारी, राहुल अहिरवार, हिसबी राजपूत, बब्लू कुशवाहा, हलकेश आदिवासी, बालादीन पटेल, देवीदीन कुशवाह, देशराज आदिवासी, देबेन्द्र आदिवासी, जगदीश कुशवाह, दुलीचंद आदिवासी, फूलचंद आदिवासी सहित दो दर्जन साईकिल यात्री सहभागी रहे।