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फ्री फायर गेम पर लगे रोक, ऑनलाईन गेम में पैसे हारने के बाद आयुष ने की थी आत्महत्या

पुलिस ने जांच शुरू कर अभिभावकों से की बच्चों पर निगरानी की अपील

छतरपुर। शहर के सागर रोड पर पायल ढाबा के पीछे रहने वाले पैथालॉजी संचालक विवेक पाण्डेय के 13 वर्षीय पुत्र आयुष के द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या किए जाने के मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। आयुष ने ऑनलाईन गेम फ्री फायर में 40 हजार रूपए गंवाने के बाद डिप्रेश होकर बीते रोज अपने ही घर में उस वक्त फांसी लगा ली थी जब उसके पिता विवेक पाण्डेय पैथालॉजी पर काम कर रहे थे जबकि मां प्रीति पाण्डेय जिला अस्पताल में अपनी ड्यूटी पर थीं। आयुष की मौत के बाद छतरपुर पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। आयुष जिस अकाउंट में पैसे डालता था उसकी पड़ताल की जा रही है साथ ही पुलिस ने जिले के अभिभावकों को एक एडवाइजरी जारी की है।

पुलिस पीआरओ डीएसपी शशांक जैन ने कहा कि ऑनलाईन गेम की लत से बच्चे परेशान हो जाते हैं। एक स्तर पर पहुंचने के बाद वे गलत कदम भी उठा सकते हैं इसलिए सभी माता-पिता को बच्चे से मोबाइल दूर रखना चाहिए और बच्चों पर निगरानी रखनी चाहिए। यदि कभी बच्चे इस तरह के गेम खेलते हुए पकड जाएं तो उन्हें डांटने के बजाय समझाना चाहिए।

 क्या है फ्री फायर गेम

कभी फ्री फायर गेम के शिकार रहे छतरपुर के आदित्य पाण्डेय ने बताया कि यह मोबाइल के प्ले स्टोर पर उपलब्ध एक ऑनलाईन बैटल ग्राउण्ड गेम है जिसमें कई लोग एक साथ  अपने-अपने मोबाइल से हिस्सा ले सकते हैं। गूगल प्ले स्टोर से इस गेम को 50 करोड़ से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं। शुरूआत में यह मजे और मनोरंजन के लिए खेला जाता है लेकिन एक स्थिति के बाद यह ऐप आपको पैसे लगाकर पैसे जीतने का ऑफर करने लगता है। बच्चे समझ नहीं पाते कि वे कब मनोरंजन से जुए की लत में पड़ गए। एक बार इसकी लत लगने के बाद बच्चे घर से बाहर नहीं निकलते। दिनभर सिर्फ मोबाइल से चिपके रहते हैं। लगातार हारने के बाद निराशा और तकलीफ होने लगती है जिसके कारण उनका मानसिक विकास तो रूकता ही है साथ ही वे गलत कदम भी उठाने लगते हैं। 

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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