बक्स्वाहा के भीमगढ़ में मिला पाषाणकालीन शैलचित्रों का भंडार
विश्व धरोहर को गंभीरता से ले पुरातत्व विभाग : अमित भटनागर
बक्स्वाहा, छतरपुर// बक्सवाहा में लगातार पाषाण कालीन शैलचित्र खोजने का कार्य अमित भटनागर व शरद कुमरे आदि सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा युद्ध स्तर पर जारी है, जिसके तहत बकस्वाहा के भीमगढ़ में पाषाणकालीन शैलचित्रों का भंडार खोज निकाला गया है। गैरतलब है कि महाराजा कालेज में चित्रकला विभाग के प्रमुख, प्रोफेसर एस.के. छारी द्वारा बक्सवाहा के जंगलों में कसेरा गांव में शैलचित्रों का उल्लेख उनके शोध पत्रों में किया गया था, जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर व शरद सिंह कुमरे ने कसेरा और उसके आस-पास पुरात्वविदों से विचार विमर्श करते हुए इन शैलचित्रों को खोजने की मुहिम छेड़ रखी है। मुहिम के तहत कसेरा उसके बाद निमानी अब भीमगढ़ में तो बड़ी मात्रा में शैलचित्रों की पूरी श्रंखला खोज निकाली गई है।
सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर ने बताया कि हम इस क्षेत्र के बुजुर्गों से लगातार बात कर जंगलों में सघन अभियान छेड़े हुए है जिसके तहत हमारी टीम बक्स्वाहा क्षेत्र के भीमगढ़ पहुँची जहां स्थानीय बद्री यादव आदि की मदद से जंगलों की खोज करने के बाद जहाँ बड़ी मात्रा में शैलचित्र मिले है जिसे प्रोफेसर एस के छारी सहित पुरातत्व विशेषज्ञयों ने पाषाणकालीन बताते हुए लगभग 25 हजार ईसा पूर्व का बताया है।
अमित के अनुसार ये शैल चित्र इस क्षेत्र ही नहीं देश के लिए गौरव का विषय है, अमित का कहना है कि इनमे से कई शैलचित्र मानव हस्तक्षेप के कारण नष्ट होने के कगार पर है, इन्हें तत्काल संरक्षित कर विश्व स्मारक घोषित किए जाने की उनकी मुहिम के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं के जबलपुर उच्च न्यायालय मैं पीआईएल लगाने के बाद पुरातत्व विभाग की एक टीम यहां सर्वे करने आई थी, और उसने कुछ स्थानों का सर्वे कर इन्हें पाषाण कालीन होने पर मुहर लगाते हुए, विश्व धरोहर घोषित किए जाने हेतु फ्रांस स्थित यूनेस्को के प्रधान कार्यालय को पत्र भी लिखा है।
अमित भटनागर के अनुसार इस क्षेत्र में पाषाणकालीन शैलचित्रों के साथ ही आदिमानव काल की बस्तियां, उनके औजार आदि जीवनशैली से जुड़ी अन्य बस्तुओं सहित पुरानी मूर्तियां, महल, तालाब, कुआ, बावड़ी आदि पुरात्विक महत्व की अनेक धरोहर है। अमित का कहना है कि पुरातत्व विभाग इस क्षेत्र में पाई गयीं, दुनिया की धरोहर को गंभीरता से ले, और पूरे स्थानों का गंभीरता से सर्वेक्षण करे। अमित भटनागर, शरद सिंह कुमरे, बद्री यादव, बहादुर आदिवासी, कुमारी बीनू बघेल, राहुल अहिरवार, भगतराम तिवारी, देवीदीन कुशवाहा, बब्लू कुशवाहा, सुनीता, आयुष, चंदन यादव आदि कार्यकर्ता खेज टीम का हिस्सा रहे।