डेली न्यूज़लीगल इनफार्मेशन

छुट-पुट या छोटी-मोटी अपहानि होना अपराध होगी या नहीं जानिए/IPC…

भाषा की अपूर्णता के कारण ऐसे अनेक कार्य है जो शाब्दिक दृष्टि से किसी अपराध के अंतर्गत आते हैं लेकिन यदि वास्तव में देखा जाए तो उनके पीछे कोई आपराधिक भावना नहीं रहती हैं, अतः उन्हें अपराध मानना जनहित में नहीं होगा। अर्थात किसी दूसरे व्यक्ति का पेन उसकी मर्जी के बिना उठाना चोरी का अपराध हैं, किसी व्यक्ति के पास से तेज रफ्तार में कार से धूल उड़ाते हुए जाना रिष्टि का अपराध है,किसी व्यक्ति को गाड़ी में बैठने के लिए अंदर करना चोट अपराध हो सकता है,बस में या भीड़ वाले स्थान में पैर रखना या धक्का मुक्की होना चोट या छेड़छाड़ का अपराध हो सकता है लेकिन क्या इनके लिए आपराधिक कार्यवाही चलाना न्यायोचित होगा? यदि ऐसी छुट-पुट बातों को अपराध मानकर लोगों को दण्डित किया जाने लगे तो समाज में लोगों का साथ-साथ रहना दूभर हो जाएगा। इसी कारण ऐसे छोटे-मोटे अपराध को आपराधिक दायित्व से मुक्त रखा गया है जानिए।

★भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 95 की परिभाषा:-★
”अगर कोई व्यक्ति छुट-पुट या छोटी-मोटी बातो को लेकर शिकायत करता है जो गंभीर(संज्ञेय) अपराध नहीं है तब ऐसा कृत्य धारा 94 के अंतर्गत अपराध नहीं होगा।

★उधारानुसार वाद:- सदानंद बनाम शिवकली★- 
उपर्युक्त मामले में शिकायतकर्ता ने आरोपी के विरुद्ध धारा 506 के अधीन झूठ बोलने का आरोप लगाया था। इस वाद मे न्यायालय ने विनिश्चित किया कि विधि का यह एक प्राथमिक सिद्धांत है कि वह तुच्छ बातो(छुट-मुट बातों)  की और ध्यान नहीं देती है। यदि कुछ शब्दों के कहने पर कोई व्यक्ति आपराधिक कार्यवाही की परेशानियों में पड़ जाए तो वर्तमान सभ्य समाज में लोगों का एक-दूसरे से आपसी संपर्क तथा मेल-जोल रखना ही दूभर हो जाएगा।


:- लेखक बी. आर. अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!