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स्वंय द्वारा किया गया हमला प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार नहीं होगा जानिए/IPC…

कल के लेख में हमने आपको बताया था कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने शरीर व अन्य व्यक्ति के शरीर एवं अपनी व किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति की प्रतिरक्षा करने का अधिकार भारतीय दण्ड संहिता की धारा 96 से 106 तक प्राप्त है। व्यक्ति निजी सुरक्षा में गंभीर चोट से लेकर हत्या तक कर सकता है वह किसी भी प्रकार का अपराध नहीं होगा जानिए।


★भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 96 की परिभाषा★
“निजी सुरक्षा  के लिए किया गया बल पूर्वक कार्य किसी वही प्रकार से अपराध नहीं होगा। • लेकिन इस अधिकार की दो सीमाएं है:-1. ऐसे किसी कार्य के लिए इसका प्रयोग उचित नहीं होगा जो बचाव न होकर निश्चित रूप से एक अपराध था।2  यदि किसी व्यक्ति ने स्वंय आक्रमण किया हो, तो वह अपने बचाव में निजी सुरक्षा के अधिकार का तर्क प्रस्तुत नहीं कर सकता है।


★उधारानुसार वाद(कश्मीरी लाल बनाम पंजाब राज्य)★ 

“उपर्युक्त मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि व्यक्ति जो स्वंय आक्रामक हो और दूसरे व्यक्ति पर विधि-विरुद्ध हमला करता हो तब उस व्यक्ति को प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार प्राप्त नहीं होगा।


:- लेखक बी. आर. अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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