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कोई पागल व्यक्ति हमला कर दे, तब बचाव करने वाले व्यक्ति को निजी प्रतिरक्षा का अधिकार प्राप्त होगा या नहीं, जानिए/IPC…

वैसे तो भारतीय दण्ड संहिता में हमने आपको बताया था कि किसी शिशु, पागल या स्वयं की इच्छा के विरुद्ध नशा करने के कारण कोई अपराध हो जाता है तब ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया कोई कार्य अपराध नहीं होगा लेकिन इन पर अंकुश लगाना भी जरूरी होता है अगर कोई पागल, शिशु या नशे की हालत में व्यक्ति हमला कर दे तब जिस व्यक्ति पर हमला किया जा रहा है उसे पूरी तरह से निजी प्रतिरक्षा का अधिकार प्राप्त होगा क्योंकि उसे अपने शरीर एवं संपत्ति की रक्षा करना जरूरी है जानिए।


★भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 98 की परिभाषा★

अगर कोई विकृतचित(पागल) व्यक्ति या कोई शिशु(अवयस्क) या नशे की हालत में व्यक्ति किसी सामान्य व्यक्ति पर हमला कर दे तब उस सामान्य व्यक्ति को अपनी रक्षा के लिए प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार धारा 98 के अंतर्गत प्राप्त होगा। अर्थात कोई व्यक्ति ऐसा तर्ज नहीं दे सकता है कि हमला करने वाला व्यक्ति पागल था या बालक था या नशे की हालत में था क्योंकि स्वंय के जीवन की रक्षा करना व्यक्ति का निजी प्रतिरक्षा का अधिकार होता है।


★उधारानुसार:-★“कोई पागल व्यक्ति किसी व्यक्ति पर हमला करके उसका पर्स लेकर भाग रहा हैं तब उस व्यक्ति को अपनी प्रतिरक्षा में यह अधिकार होगा कि वह उस पागल व्यक्ति को पकड़ कर उससे अपनी पर्स वापस छीन ले। यहां पर पागल व्यक्ति की ओर से यह तर्क उठाना व्यर्थ होगा कि पागलपन के कारण उसके कार्य में समझ का अभाव था। अर्थात व्यक्ति जैसे पागल व्यक्ति से अपनी रक्षा करना निजी सुरक्षा का अधिकार होगा।


:- लेखक बी. आर. अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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