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खनिज रॉयल्टी का पैसा मप्र का, उप्र में खर्च क्यों?

क्षेत्र के सांसद सुनो हमारा दर्द - लवकुशनगर अनुभाग की कोख में सम्पन्नता, फिर भी गरीब क्यों

(गौरिहार से रामबाबू पाल, पोल खोल)

छतरपुर/ गौरिहार/ बंजर होती जमीन, बढ़ते बीहड़, दिनों दिन गहराता जल संकट, इन तमाम मुसीबतो को छतरपुर जिले का लवकुशनगर अनुभाग सहन कर रहा हैं। यह वह इलाका हैं जो सबसे अधिक खनिज रायल्टी से मप्र सरकार की तिजोरी भरता हैं लेकिन सम्पन्नता के बाद भी विपन्नता और कष्टों को भोग रहा हैं। विडंबना देखो कि लवकुशनगर अनुभाग की सम्पदा का दोहन कर मिली करोडो रूपये की रॉयलटी को क्षेत्र विकास में खर्च की जानी चाहिये पर यह राशि उप्र में व्यय करने की साज़िश को अंतिम रूप दे दिया गया। छतरपुर जिले के कलेक्टर पर आरोप हैं कि उन्होंने अपने किसी निजी प्रतिफल के कारण मप्र की रॉयल्टी राशि को उप्र के महोबा में पुल निर्माण में खर्च करने का तानाबाना बुना जिस पर प्रभारी मंत्री की मोहर भी लगवा दी। यानि दर्द सहे लवकुशनगर का इलाका और मौज करवाई जा रही हैं प्रदेश पार उत्तरप्रदेश की।ज्ञात हों कि पिछले विधानसभा चुनाव में नेताओं के भाषणों में चंदला को गोद ले लिया गया था। फिर भी गोद लिये क्षेत्र को अनाथ छोड़ दिया गया हैं। इस क्षेत्र की नदियों को रेत माफिया चीर रहे हैं। आरोप लगते हैं कि भोपाल से ताकत प्राप्त स्थानीय नेताओं और जिले के जिम्मेदार अधिकारियो की मिली भगत से रेत का अवैध कारोबार बेखौफ जारी हैं। इन चंद लालचीयो के कारण पूरा क्षेत्र वर्तमान और भविष्य की भीषण आपदाओ के घेरे में हैं। रेत से भरे ओवर लोड ट्रको के कारण पूरे लवकुशनगर अनुभाग की सड़को के परचखखे उड़ गये हैं। रेत के अवैध खनन से इलाके का भू जलस्तर सबसे अधिक प्रभावित हुआ हैं। जो अत्यधिक नीचे चला गया हैं। जिससे जल संकट गहरा रहा हैं। रेत के काले कारोबार का कहर जारी हैं जिससे बीहड़ो का रकवा बढ़ रहा हैं। प्रकाशबम्होरी में अबैध केशरो के संचालन से स्थानीय लोग अस्थमा, टीबी व अन्य बीमारियों से ग्रसित है, वही केशरो के धूल के कारण लोगो को अपनी जमीन बंजर होने कारण से उपज भी नही मिल रही। कारण की धूल के कारण खेत की उर्बरा शक्ति नष्ट हो चुकी है जिससे लोग पलायन को मजबूर है। इतना ही नही जिले के खनिज राजस्व से प्राप्त राशि 12,38 करोड़ जिले के प्रभारी मंत्री जी ने जिले के कलेक्टर महोदय के गृह जिले महोबा की कबरई उत्तरप्रदेश रेलवे स्टेशन पर पुल बनाने को स्वीकृति कर दिए। प्रकाशबम्होरीबदैराकला ,टिकरी , सहित कई ग्रामो में अमानक 4 इंची ब्लास्टिंग से बस्ती के घरो में दरारे पड़ गयी है। कोई भी अप्रिय घटना घट सकती है जिसकी जवाबदेही किसकी होगी? जो राशि उत्तरप्रदेश को स्वीकृति की गई उसको निरस्त करते हुए गांवों में खर्च की जाये जो गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से कोसो दूर हैं। जो लीज स्वीकृति की गई उनको ग्रामपंचयतो से ग्रामसभा का प्रस्ताव होना चाहिए व पंजी में दर्ज होने चाहिए जिसकी भी अनदेखी की गई है।लवकुशनगर इलाके की कोख रेत, गिट्टी, ग्रेनाइट पत्थर जैसी खनिज सम्पदा उगलती हैं। फिर भी यह इलाका माफियाओ, ताकतवर नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियो की मिली भगत से शोषण का शिकार हैं। जिसका नतीजा हैं कि नदियों का अस्तित्व खतरे में हैं जिनकी रेत के अवैध खनन से चाल बदल गई हैं जिससे बीहड़ का रकवा बढ़ रहा हैं। विशालकाय पहाड़ो को नोच दिया गया हैं। पहाड़ो को मिटाकर संतुलन बिगाड़ा जा रहा हैं। खनिज सम्पदा से सबसे अधिक रॉयल्टी के माध्यम से सरकार की तिजोरी भरने वाला यह इलाका गरीबी का दंश झेल रहा हैं। जो रॉयल्टी की राशि इस इलाके के विकास पर खर्च होना चाहिये वह उत्तरप्रदेश पर व्यय की जा रही हैं। क्षेत्र के लोग भी खामोश हैं कि उनके हक़ पर डाका क्यों डाला गया। इलाके के सांसद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बी डी शर्मा भी चुप्प हैं कि आखिर ऐसा क्यों।

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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