शरीर की निजी रक्षा के लिए व्यक्ति हमलावर की मृत्यु कब कर सकता है जानिए/IPC…

व्यक्ति हमलावर पर उतने ही बल का प्रयोग करेगा जितना हमलावर व्यक्ति पर कर रहा यह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 96 एवं 97 बताती है अगर हमलावर के बल से ज्यादा बल का प्रयोग किया गया तो धारा 99 के अंतर्गत कोई बचाव नहीं होगा। लेकिन शरीर की रक्षा के लिए व्यक्ति कब किसी हमलावर की मृत्यु तक कर सकता है अर्थात अधिक बल का प्रयोग कर सकता है जानिए आज की धारा 100 में।
★भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 100 की परिभाषा:-★
अगर कोई हमलावर निम्न उद्देश्य के लिए किसी व्यक्ति पर हमला करता है, तब स्वयं व्यक्ति या अन्य व्यक्ति उसके शरीर की रक्षा करता है तो वह अपराध नहीं होगा जानिए :-
1. जब किसी व्यक्ति को मृत्यु या गंभीर चोट पहुंचने की तुरंत आशंका हो तब वह अपनी प्ररिरक्षा के अधिकार का प्रयोग करते हुए हमलावर की मृत्यु तक कर सकता है।
2. कोई व्यक्ति किसी लड़की या स्त्री के साथ बलात्कार करने के आशय से या किसी व्यक्ति के साथ अप्राकृतिक अपराध करने के आशय से हमला करता है तब व्यक्ति हमलावर की मृत्यु तक कर सकता है,ऐसे हमलावर को मारने वाला व्यक्ति धारा 100 के अंतर्गत दोषी नहीं होगा।
3. अपहरण या व्यपहरण करने के आशय से हमले का प्रतिरोध करते हुए हमलावर की मृत्यु हो जाती है तब यह अपराध नहीं होगा।
4. जब किसी व्यक्ति को यहआशंका है कि दोषपूर्ण रुकावट के के उस पर हमला किया गया है एवं उसे ऐसे समय में न तो कोई पुलिस की सहायता मिल रही है न ही कोई लोकसेवक से सम्पर्क हो पा रहा है तब व्यक्ति स्वयं की रक्षा के लिए हमलवार की मृत्यु तक कर सकता है।
5. अगर हमलवार किसी व्यक्ति पर एसिड अटैक करने वाला है या आशंका है तब व्यक्ति ऐसे हमलावर की मृत्यु तक कर सकता है।
अर्थात उपर्युक्त शरीर के बचाव के लिए हमलावर की मृत्यु करना धारा 100 के अंतर्गत क्षमा योग्य होगा।
