अर्चना गुड्डू सिंह के जन्मदिन पर विशेष
स्वच्छ राजनीति, विकास और महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी
छतरपुर। पिछले 12 वर्षों से छतरपुर की राजनीति में धु्रव तारे की तरह उच्च शिखर पर आसीन अर्चना गुड्डू सिंह ने जिले में स्वच्छ राजनीति महिला सशक्तिकरण और विकास की जो मिसाल कायम की है वह अद्वितीय है। लगातार 30 दिन 24 घंटे आम जनता और महिलाओं के लिए काम करने वाली अर्चना गुड्डू सिंह न कभी थकती हैं न थमती हैं और न झुकती हैं। उनका मकशद केवल और केवल छतरपुर को विकसित शहरों की श्रेणी में लाकर खड़ा करना है। उनके राजनैतिक कौशल और स्वच्छ राजनीति करने के तरीकों से प्रभावित होकर तमाम शिक्षित महिलाएं राजनीति की ओर अपने कदम बढ़ा रही हैं। कई महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने अर्चना गुड्डू सिंह को अपना आईकोन बना लिया है। आज 30 अगस्त को उनके जन्मदिन पर उन्हें बधाईयां और शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए उनके व्यक्तित्व और कृतत्व के साथ ही विकास कार्यों पर नजर दौड़ाना समय की मांग है।
दशकों तक पानी पिलाएगी अमृत परियोजना
वर्ष 2009 में अर्चना गुड्डू सिंह ने जब शहर की प्रथम नागरिक बनकर नगर पालिका की बाग-डोर अपने हांथों में थामी तब छतरपुर में पानी की सबसे बड़ी समस्या थी। लगभग 50 साल पहले शहर के अंदर बिछाई गई पाईप लाईन जर्जर हो चुकी थी और सीमित टंकियां तेजी से बढ़ती आबादी को पेयजल आपूर्ति कराने में अक्षम साबित हो रही थीं। इस गंभीर समस्या के स्थाई समाधान के लिए अर्चना गुड्डू सिंह ने क्षेत्रीय सांसद डाॅ. वीरेन्द्र कुमार के मदद से केन्द्र सरकार से अमृत परियोजना स्वीकृत कराई और छतरपुर की गली-गली में लगभग 70 किलोमीटर लंबे पाईप लाईन का जाल बिछा दिया। नलों से घरों तक पानी पहुंचे और धसान से छतरपुर आये पानी का पर्याप्त भण्डारण हो सके इसके लिए 9 नवीन पानी की टंकियों का निर्माण भी कराया। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अर्चना गुड्डू सिंह के प्रयासों से छतरपुर को मिली अमृत परियोजना कई दशकों तक पेय जल आपूर्ति के लिए वरदान साबित होगी। यह बात अलग है कि कांग्रेसियों ने नकारात्मक राजनीति कर इसी अमृत परियोजना के लिए बिछाई गई लाईनों की बैसाखी पर चढ़ कर फतह हांसिल कर ली। हालांकि वो आज तक यह नहीं बता पाये कि बिना सड़कों को खोदे पाईप लाईन बिछाने की और क्या तकनीकी हो सकती थी।
दुर्घटना रोकने में मददगार साबित हो रहे डिवाईडर
छतरपुर के बीचों बीच से निकले दो-दो राष्ट्रीय राजमार्ग और संक्रीण सड़कें जाम और दुर्घटनाओं का सबब बनी हुई थीं। इन दुर्घटनाओं में कई मातायें अपने मासूम बच्चे खो चुकी थीं और उनकी गोद सूनी हो गई थी। अर्चना सिंह ने उन माताओं के दर्द को समझा और अपनी मजबूत इच्छा शक्ति के बलबूते सड़कों के चैडीकरण व उनके मध्य डिवाईडर बनाने का बीड़ा उठाया। उनके इस अच्छे काम में विघ्नसंतोषियों ने तमाम बड़े-बड़े रोड़े अटकाये पर कहते हैं कि ‘‘जहां चाह वहा राह‘‘ होती है और सारी बाधाओं को पार कर उन्होंने पूरे शहर की प्रमुख सड़कों को न सिर्फ चैड़ा किया बल्कि उसके मध्य में डिवाईडर बनाकर शहर की सुन्दरता में चार चांद तो लगा ही दिये साथ ही आये दिन होने वाली दुर्घटनाओं से भी शहर को मुक्ति दिला दी। मैं यहां यह जरूर उल्लेख करना चाहूंगा कि चुनाव के वक्त राजनैतिक विद्वेश के कारण डिवाईडरों को कलंकित करने का भरपूर प्रयास किया गया पर आज पूरा जिला इस बात का साक्षी है कि छतरुपर के डिवाईडर न सिर्फ शहर की सुन्दरता बढ़ा रहे हैं बल्कि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रामबाण साबित हो रहे हैं। जबसे यह डिवाईडर बने हैं तबसे किसी भी निर्दाेष की जान नहीं गई।
सकारात्मक कार्यों से मिली सफलता
पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अर्चना गुड्डू सिंह ने आज जो सफलता अर्जित की है वह सिर्फ और सिर्फ उनके खुद के व उनके पति पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह गुड्डू भैया के सकारात्मक कार्यों का ही नतीजा है। छतरपुर की इस राजनैतिक जोड़ी की यह विशेषता है कि वह किसी की भी आंखों में आंसू देखना बर्दास्त नहीं करते हैं। फिर चाहे उन्हें उन आसूओं को पौछंने औन चिंतित चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए तूफान से भी क्यों न भिड़ना पड़े। वे अपने राजनैतिक कैरियर की भी चिंता किए बिना उस पीड़ित की मदद करने में तनमनधन से जुट जाते हैं। कांग्रेस शासन काल के दौरान एक महिला को उसके पति ने केवल इस लिए घर से निकाल दिया था कि उसने सिर्फ बेटियों को जन्म दिया अर्चना सिंह को जैसे ही इस घटना की जानकारी लगी वे तुरंत पुलिस थाना पहुंची और उन्होंने सीधे बेटियों के मामा कहे जाने वाले मध्य प्रदेश के विकास पुरूष शिवराज सिंह चैहान जी से भी बात करवाई और उसकी तब तक मदद की जब तक उसे न्याय नहीं मिल गया। दूसरा उदाहरण अभी हाल ही में देखने को मिला जब पीड़ित की मदद के लिए उनका पूरा परिवार जुट गया था। यह तो कुछ चंद उदाहरण है अपने राजनैतिक कैरियर में उन्होंने न जाने कितने लोगों की न सिर्फ मदद की बल्कि उनके चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए शासन प्रशासन से भिड़ने में भी कोई कोताही नहीं बरती। यही करण की आज बुन्देलखण्ड में अर्चना गुड्डू सिंह और उनके पति पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह सर्वाधिक भीड़ का नेतृत्व करने वाले नेता बने हुए हैं।
महिलाओं ने बनाया आईकोन
सालों साल पहले गिनी-चुनी महिलाएं ही सार्वजनिक जीवन में आया करती थीं। लेकिन जबसे अर्चना गुड्डू सिंह ने महिलाओं के लिए तमाम नवाचार करना शुरू किए तबसे शिक्षित और सभ्रांत परिवारों की महिलाएं दर्जनों महिलाएं अर्चना सिंह को अपना आईकोन मानकर राजनीति में भविष्य आजमाने मैदान में आ गई हैं। मुझे याद है कि अर्चना गुड्डू सिंह ने 2 साल पहले अपने जन्मदिन पर एक विशाल दो पहिया महिला रैली निकाली थी। सायद उससे पहले छतरपुर में कभी भी महिलाओं की दो पहिया वाहन रैली नहीं निकली थी। उन्होंने पिछले वर्ष अपने पति पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह के जन्मदिन पर भी एक नया नवाचार किया। उन्होंने अपने पति के जन्मदिन पर जरूरत मंद लोगों को निःशुल्क हेलमेट वितरित किए। अपने आप में यह एक अनूठी पहल थी। डीआईजी की उपस्थिति में आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि यदि वे इस अभियान के जरिए एक आदमी की भी जिंदगी दुर्घटना से बचा पाईं तो पति का जन्मदिन मनाना सार्थक हो जाएगा। ऐसे एक नहीं अनेकों नवाचार अर्चना गुड्डू सिंह के द्वारा पिछले 12 सालों में किए गए है। आज उनके जन्मदिन पर एक बार पुनः उन्हें लख-लख बधाईयां व शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।