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चेकडेमों की जांच रिपोर्ट में सहायक यंत्रियों ने की लीपापोती, क्रास चैकिंग के नाम पर हुई वसूली

विनोद अग्रवाल

छतरपुर। जिला पंचायत के सीईओ अमर बहादुर सिंह ने बीते रोज छतरपुर जिले में बने लगभग 400 चेकडेमों की जांच विभिन्न जनपदों में पदस्थ सहायक यंत्रियों के द्वारा अन्य जनपदों में करने के आदेश जारी किए थे। परंतु जिन्हें जांच का जिम्मा सौंपा था उन्हीं सहायक यंत्रियों ने ग्राम पंचायतों में जाकर सरपंच एवं सचिवों से वसूली कर चेकडेमों को बढिय़ा बता दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कई जगह ऐसे चेकडेम बनाए गए हैं जहां बस्ती में लोग रह रहे हैं। कई चेकडेम निजी भूमि पर बनाए गए हैं। जिससे किसी व्यक्ति विशेष को लाभ मिल रहा है। शासन के करोड़ों रुपए की राशि का जो बंदरबांट छतरपुर जिले में किया गया है ऐसा उदाहरण शायद ही कहीं देखने को मिलेगा। जनपदों में पदस्थ सभी सहायक यंत्री लामबंद हो गए हैं और वह एक दूसरे की जांच कर रहे हैं। ऐसे में जांच निष्पक्ष होना संभव नहीं है। अन्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा इन चेकडेमों की जांच कराई जाए तो कई चेकडेम में हुए घटिया निर्माण का खुलासा होगा और देाषी सहायक यंत्री एवं उपयंत्रियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी। परंतु ऐसा हो नहीं सकता। क्योंकि अधिकांश चेकडेमों में भाजपा नेताओं की सिफारिश पर मोटी रकम लेने के बाद स्वीकृत किए गए हैं। इन चेकडेमों की वास्तविक कीमत 4 से 5 लाख रुपए है बाकी राशि कमीशन के तौर पर जनपद के सीईओ से लेकर सहायक यंत्री एवं उपयंत्री पंचायत के सरपंच एवं सचिव के अलावा रोजगार सहायक में बंट रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सभी जनपदों में चेकडेम का भुगतान लगातार किया जा रहा है। फिलहाल जिला सीईओ के द्वारा जो जांच के आदेश दिए गए थे उसकी आधी अधूरी रिपोर्ट ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री के माध्यम से जिला पंचायत सीईओ को सौंप दी गई है। जिन लोगों ने जांच की है उन सहायक यंत्रियों ने संबंधित ग्राम पंचायतों में जाकर प्रत्येक चेकडेम के जांच के नाम पर पांच से दस हजार रुपए की वसूली की है। की आने वाले समय में यदि ऊपर से कोई टीम आती है तो इस जांच को दबाने के लिए एक मोटी रकम इक_ी कर दी जा सके। फिलहाल छतरपुर कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह और जिला सीईओ के द्वारा जितने भी आदेश पंचायत ग्रामीण विकास विभाग में किए गए उन आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए सहायक यंत्री एवं उपयंत्री हाईकोर्ट से स्टे लेकर आ जाते हैं। जिससे प्रशासन की अच्छी खासी किरकिरी हो रही है। 

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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