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वसूली में बेलगाम खाकी और दहशतजदा जनता

Dheeraj Chaturvedi

छतरपुर जिले की दो घटनाये :

चाचा ने भतीजे पर पेट्रोल डाल आग लगाई वहीँ दबंग की गोली से किसान की मौत

वसूली में बेलगाम खाकी और दहशतजदा जनता

कुशल निर्देशन गान में ख़ुश मत हों साहब, हालात बेहद ख़राब हैं

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यह छतरपुर शहर हादसों का शहर हैं, यहाँ रोज रोज.. हर मोड़ मोड़ पर होता हैं कोई हादसा। मंगलवार को छतरपुर जिले में दो घटनाये रोंगटे खड़े कर देने वाली घटित हुई। नौगांव थाना के नयागांव में चाचा ने अपने सगे भतीजे पर पेट्रोल डाल उसे आग लगा दी, वहीँ निवारी गांव में एक दबंग जेलर पुत्र ने एक किसान को गोली मार मौत के घाट उतार दिया। यह दोनों ही घटनाये जमीनी विवाद को लेकर हुई जिसका मुख्य दोषी राजस्व का तंत्र हैं। छतरपुर जिले के बेलगाम अंकुशहीन कारणों से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। पुलिस का अधिकांश अमला वसूली में मस्त हैं और जनता त्रस्त हैं और अधिकारी कुशल निर्देशन गान में मदमस्त हैं।छतरपुर जिले में आतंकवादियों द्वारा रचित गंभीर घटनाये नहीं घटित हों रही बल्कि अंकुशहीन तंत्र के कारण अपराधियों में पुलिस की वसूली छवि का परिणाम हैं। मंगलवार को छतरपुर जिले में दो घटनाये यहाँ की जंग कानूनी व्यवस्था का सबूत हैं। नौगांव के नयागांव में कपिल अनुरागी पर पेट्रोल छिड़क आग लगा दी गई। यह वीभत्स घटना करने वाले कपिल के चाचा और अन्य चार थे जिन्होंने जमीनी विवाद पर इस घटना को अंजाम दिया। दूसरी घटना ग्राम निवारी में घटित हुई जहाँ जेलर के दबंग पुत्र राज सिंह ने जमीनी विवाद के कारण भवानी रजक के पेट में गोली मार दी। जिसे गंभीर हालत में ग्वालियर रिफर किया गया पर रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। आरोपी के पिता जबलपुर सेन्ट्रल जेल में जेलर पदस्थ होना बताये गये हैं।छतरपुर जिले में अपराधियों का तांडव राज कायम होता जा रहा हैं। आखिर अपराधियों के बेखौफ आतंक का कारण क्या हैं। इसके पीछे कड़वे सच को जिम्मेदार अधिकारी हजम नहीं कर पायेंगे। अधिकारियो को कुशल निर्देशन की छपास का ऐसा रोग लग गया हैं कि वह जमीनी हकीकत को स्वीकार करने तैयार नहीं हैं। जबकि हालत बेकाबू होते जा रहे हैं। पुलिस अमला की वसूली करतूते किसी से छुपी नहीं हैं। जिम्मेदार अधिकारी भी अपने अमले पर अंधा भरोसा किये हैं जो अधिकारियो के नाम पर बट्टा लगा रहे हैं। जरूरत हैं लगाम कसने की। कबीर का दोहा हैं “” निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।अर्थात: जो हमारी निंदा करता है, उसे अपने अधिक से अधिक पास ही रखना चाहिए क्योंकि वह बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बताकर हमारे स्वभाव को साफ कर देता है।

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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