बातूनी और उपदेशक राजा का चौपट राज
कलयुग में एक बड़े साम्राज्य के एक काबिले का राजा था। उसके काबिले राज में खनिज, वन सम्पदा का भंडारण था, पर जनता बेहद दुखी थी। कारण था राजा को भाट परम्परा के यशोगान पसंद थे। वह अपने अधीनस्थ पर रुआब झाड जनता को सन्देश देने में माहिर था कि वह जनता का सबसे बड़ा हितेषी हैं। उपदेश और ज्ञान देने में उसे महारत हासिल थी। राज की हालात दिनोदिन बिगड़ते रहे और राजा अपने उपदेश देने में तालियां बटोरता रहा। अचानक महामारी का दौर आया। राज में ना दवाइयां, ना ऑक्सीजन, ना अस्पताल में पलंग। मौत को कभी इतना सस्ता नहीं देखा कि लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव दम तोड़ रहे थे और शमशान घाटों पर चिताये धधक रही थी पर राजा चौराहे पर खड़ा होकर डंडे ठोक रहा था और अपने सेनापतियों से भी लोगो को ठुकवा रहा था। कई निर्दोष राजा के नकारेपन की खुन्नस का शिकार हों गये। बातूनी राजा के राज में पूरी व्यवस्थाये चौपट हों गई। राजा को मिलने वाले टोकन के कारण नदियों को रेत माफियाओ ने छलनी कर दिया। सरकारी जमीनों पर बेजा कब्जे हों गये। जनता हितेषी योजनाओं को राजसी कामकाज सम्हालने वाले सिपाहसलार और माफियाओ का गिरोह चट करने लगा। एक प्रकार से घोटाले ही घोटाले। चेकडेम घोटाला ने तो पूरे साम्राज्य में खलबली मचा दी पर काबिले के राजा ने पूरी लीपापोती करा दी। इस राजा के काबिले राज में तालाब बहुत थे, लेकिन उपदेशक राजा ने इन तालाबों की दुर्दशा सुधारने कुछ नहीं किया। तालाबो पर कब्जे हों गये पर राजा ने इन कब्जो को हटाने पहल नहीं की। जनता का ध्यान भटकाने राजा ने एक पुराने तालाब को खुदवा दिया। अब यहीं खोदा गया तालाब नुमाइश बना दिया गया। ठीक उसी तरह जैसे अन्धो के बीच एक काना होता हैं। सभी तालबो को अंधा कर दिया और एक काने रूपी तालाब को खोद दिया गया।जो भी हों चौपट काबिले राज का राजा बातूनी था और उपदेशक अच्छा था। काबिले राज के कुछ लोग राजा के चौपट राज का आईना दिखाते थे तो राजा को हजम नहीं होता था। क्योंकि राजा तो झूठी प्रशंसा का आदी था। एक बार राजा ने अपने उपदेश में हाथ की सबसे छोटी ऊँगली को व्यवधान वाली बता दिया। वह भूल गया कि भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियो को आफत से बचाने के लिये इसी छिंगली ऊँगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया था। कुल मिलाकर राजा के लिये कहा जा सकता हैं कि “” पर उपदेश कुशल बहुतेरे “” जिसका अर्थ है ‘ दूसरों को उपदेश देने में सब चतुर होते हैं।