मंदिर, स्कूलों, प्राचीन तालाब, शमशान और जंगल को उजाडऩे की चल रही तैयारी
क्रेशर खोले जाने का ग्रामीणों ने जताया विरोध, कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक पहुची शिकायत
क्रेशर संचालकों की है मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिलीभगत
छतरपुर में जितनी भी क्रेशर संचालित है उन सभी को पर्यावरण से स्वीकृति लेना सबसे ज्यादा जरूरी होता है यह स्वीकृति लेना आम आदमी के लिए जितना कठिन है उतना ही सरल इन क्रेशर संचालकों के लिए है। बड़े-बड़े जो क्रेशर संचालक हैं वह लोक सुनवाई के समय मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को वो सारी सुविधाएं उपलब्ध कराते है जिनकी लिए वह यहां तक आते है, इसी में मदहोश होकर यह अधिकारी आसानी से पर्यावरण की क्लीयरेंस क्रेशर संचालकों को दे देते हैं 15 जुलाई 2021 और 5 अगस्त 2021 महेबा(महयावा) तहसील गौरिहार में भी मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लोक सुनवाई शिविर लगया गया था जहां ग्रामीणों ने गांव में क्रेशर संचालन करने का विरोध दर्ज कराया था जिसकी एक लिखित शिकायत 15 जुलाई 2021 को ही कर दी गई थी। अब देखना यह है कि मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस शिकायत को कितनी तवज्जो देता है। जब इस संबंध में बोर्ड के अध्यक्ष सतीश चौकसे से बात हुई तो उन्होंने बताया कि किसी तरह का विरोध सामने नहीं आया जो अपने आप मे एक हास्य पद बयान है।
मुख्यमंत्री,कलेक्टर,मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तक पहुंची शिकायतें,नतीजा शून्य
महेबा(महयावा) के ग्रामीणों द्वारा क्रेशर खोले जाने के विरोध में कई शिकायतें जिला स्तर से लेकर भोपाल तक की जा चुकी है 15 जुलाई 2020 मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को शिकायत लोक सुनवाई के दौरान ही कर दी थी लेकिन क्रेशर संचालकों और अधिकारियों की सांठगांठ से कोई कार्यवाही नही हुई इसके बाद इस मामले में 20 नम्बर 2020 मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,18 नम्बर 2020 पर्यावरण समाधान आकलन प्राधिकरण भोपाल,11 अगस्त 2020 कलेक्टर छतरपुर, तमाम शिकायत करने वाले ग्रामीणों तो स्थानीय ग्रामीण लखन पचौरी ,भूरे सिंह,राजबहादुर,राजेंद्र पचौरी,भवानीदिन ग्राम सहित ग्रामीणों का कहना है शिकायतों के बाद भी यदि कार्रवाई नहीं हम लोग उग्र आंदोलन करेंगे जिसकी जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी।
मगरमच्छ का उजड़ेगा आशियाना, क्रेशर से मंदिर, शमशान और स्कूल को होगा नुकसान
महेबा(महयावा) गांव के स्थानीय निवासियों ने शिकायत में लेट किया है कि यह पहाड़ जहां क्रेशर की स्वीकृति दी जा रही है इससे यहां मौजूद तालाब को नुकसान पहुंचेगा वर्तमान में इस तालाब में एक मगरमच्छ भी रहता है इसी पहाड़ के आस पास एक स्कूल,एक प्राचीन मंदिर, श्मशान घाट मौजूद है, किस पहाड़ रात कई फलदार जड़ी बूटी युक्त पेड़ पौधे मौजूद है यदि क्रेशर यहां स्थापित होती है तो लोगों के आवागमन का मार्ग भी अवरुद्ध होगा । यदि क्रेशर खोलने की अनुमति दी जाती है तो इन सभी का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
इनका कहना है। जब इस मामले में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सागर के अध्यक्ष सतीश चौकसे से बात की तो उन्होंने बताया कि 15 जुलाई को लोक सुनवाई का आयोजन किया गया था उस वक्त मेरे पास कोई शिकायत नहीं आई यदि मेरे पास कोई शिकायत आएगी तो उस पर जांच की जाएगी।