जिला अस्पताल में वायरल, मलेरिया से पीडि़त बच्चे बढ़े

निजी अस्पतालों में भी बढ़ रहे मरीज, मच्छरों से रोकथाम के लिए उपाय नहीं कर रहा विभाग
छतरपुर। कोरोना का आक्रमण कम हुआ तो अब जिले भर में वायरल बुखार, सर्दी जुकाम, मलेरिया के मामले बढऩे लगे हैं। जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में भी पिछले 15 दिन में कई बीमार बच्चे पहुंचे हैं तो वहीं निजी अस्पतालों और निजी क्लीनिक पर भी बीमार बच्चों की संख्या बढ़ती हुई नजर आ रही है। मच्छरजनित बीमारियों से जूझ रहे लोगों को इससे बचाने के लिए मलेरिया विभाग जरा भी सक्रिय नजर नहीं आ रहा है। पिछले वर्षों के मुकाबले इस वर्ष विभाग के द्वारा वार्डों का सर्वे, दवा का छिड़काव और लार्वा की जांच भी नहीं की जा रही है।
विभाग के मुताबिक इस साल सिर्फ 12 मलेरिया मरीज मिले
मलेरिया विभाग के आंकड़ों को जानकर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि विभाग किस तरह खानापूर्ति में लगा है। विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पिछले वर्ष इस सीजन में जहां 45 मलेरिया मरीज और 4 डेंगू मरीज की जानकारी सामने आयी थी तो वहीं इस साल विभाग की जानकारी के मुताबिक जिले में कुल 12 मलेरिया मरीज और डेंगू का एक संदिग्ध मरीज ही सामने आया है। इस वर्ष विभाग ने अब तक मलेरिया की 10 हजार स्लाइड जांचें एवं 4 हजार किट जांचें की हंै जबकि पिछले साल विभाग ने 22 हजार जांचें की थीं। इस वर्ष किसी वार्ड में कोई सर्वे, दवा छिड़काव भी नहीं किया गया। विभाग के प्रमुख डॉ. जीएल अहिरवार भोपाल में हैं। कर्मचारियों ने बताया कि उनके लौटने के बाद दवा छिड़काव प्रस्तावित है।
50 फीसदी बच्चों में है निमोनिया के लक्षण
जिला अस्पताल में भर्ती बच्चों में से 50 फ़ीसदी बच्चों में निमोनिया के लक्षण पाए गए हैं इसलिए यह चिंता का विषय है। बच्चा वार्ड में इलाज कराने के लिए बड़ामलहरा से आई सीमा कुशवाहा ने बताया कि बच्चे को सर्दी होने की वजह से जिला अस्पताल में भर्ती कराया है। वहीं बराजखेरा के कमलेश पटेल ने बताया कि उसकी 1 माह के बच्चे को सर्दी की शिकायत थी जिसे इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिला अस्पताल के एसएनसीयू और बच्चा वार्ड में भर्ती कुल 134 बच्चों में से 60 बच्चों में निमोनिया के लक्षण है जबकि 74 बच्चों में अन्य बीमारियों के लक्षण है।
डॉ. एनके बरुआ ने बताया कि एसएनसीयू में भर्ती बच्चों में सबसे ज्यादा दिक्कत उनके वजन को लेकर है। गर्भवती महिलाओं का खान पान संतुलित न होने की वजह से बच्चों में कमजोरी आ जाती है और उनका जन्म के बाद वजन कम रहता है। जिला अस्पताल के एसनसीयू में भर्ती बच्चों का बेहतर तरीके से इलाज और उनकी देखरेख की जा रही है। इस मौसम में बच्चों की देखरेख बहुत जरूरी है। बच्चों को सबसे ज्यादा इंफेक्शन का डर बना रहता है जिससे कई प्रकार की बीमारियां फैलती हैं। लोगों को सलाह दी गई है कि वह अपने परिवार खासतौर से बच्चों की देखभाल करें और मौसमी बीमारियों से बचाएं।
गंबूशिया मछली पालन के नाम पर सवा लाख खर्च, नतीजा शून्य

शहर के विभिन्न तालाबों में पनप रहे मच्छर के लार्वा को खत्म करने के लिए मलेरिया विभाग द्वारा वर्ष 2019-20 में गंबूशिया नामक मछली पालन की योजना बनाई गई थी। इसके लिए विभाग ने अपने ही परिसर में गंबूशिया मछली पालन हेतु एक टैंक सहित अन्य निर्माण कार्यों पर सवा लाख रूपए खर्च किए थे। दो साल गुजरने जा रहे हैं अब तक यहां गंबूशिया मछली का पालन शुरू नहीं हो पाया है। इस सवाल पर विभाग के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है कोई भी इस मुद्दे पर बात नहीं करना चाहता।