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अधर में लटका विस्थापित गांवों का विकास, न राजस्व से जुड़े और न मिल पा रहा योजनाओं का लाभ

छतरपुर। राजनगर तहसील क्षेत्र के गांव एकलव्य नगर और नदिया बेहर का विस्थापन वर्ष 2004-2005 में पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा किया गया था। गांव के प्रत्येक परिवार को कृषि कार्य के लिए 5 एकड़ जमीन का अधिकार पत्र भी दिया गया लेकिन आज तक ग्रामीणों को राजस्व से नहीं जोड़ा गया जिस कारण से गांवों का विकास अधर में लटका हुआ है।
ग्रामीणों का कहना है कि जब पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा उन्हें विस्थापित कराया जा रहा था तब कई दावे और वादे किए गए जो कि आज तक पूरे नहीं हुए हैं। परिणामस्वरूप प्रदेश और केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है। पड़ताल करने पर ज्ञात हुआ कि पन्ना टाइगर रिजर्व ने वर्ष 2020 में छतरपुर कलेक्टर को पत्र लिखकर विस्थापित गांवों को राजस्व से जोडऩे और ग्रामीणों को शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए कहा था लेकिन इस पत्र पर गौर नहीं किया गया। विस्थापित ग्रामीण भी कई बार राजनगर और छतरपुर के अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके हैं लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ हाथ नहीं आया।
इनका कहना
विस्थापित ग्रामीणों को भू-अधिकार ऋण पुस्तिका उपलब्ध कराए जाने और गांवों को राजस्व से जोडऩे के लिए मैं मंत्रीगणों से बात कर चुका हूं। विधानसभा में यह मुद्दा उठाया था। ग्रामीणों को उनका अधिकार मिलना चाहिए।
विक्रम सिंह नाती राजा, विधायक, राजनगर
ग्रामीणों को उनका अधिकार दिलाने के प्रयास जारी हैं। तहसीलदार और कृषि विभाग को पत्र लिखकर गांव के किसानों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कहूंगा।
डीपी द्विवेदी, एसडीएम, राजनगर

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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