तबादलों को लेकर जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासनिक अधिकारी आमने सामने, शिक्षकों के तबादलों में हुई गड़बड़ी का ठीकरा, प्रभारी मंत्री और कलेक्टर पर थोप रहे क्षेत्रीय नेता

छतरपुर। जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग के द्वारा लगभग 300 से ज्यादा स्थानांतरण आदेश जारी किए गए हैं परंतु इन स्थानांतरणों में काफी विसंगतियां सामने आई हैं। जिले में शिक्षकों के हुए इन तबादलों को लेकर जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासनिक अधिकारी अब आमने सामने आ गए हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी एसके शर्मा का कहना है कि जितने भी तबादले किए गए हैं वह जनप्रतिनिधियों के द्वारा रिकमंड होने पर हुए हैं। इसके अलावा अधिकांश ट्रांसफर भोपाल आयुक्त कार्यालय व विभाग के प्रमुख सचिव शिक्षा के द्वारा जारी किए गए हैं।
बिना आवेदन दिए ही कर दिया स्थानांतरण
मजेदार बात ये है कि छतरपुर जिले में एक शिक्षक रामअवतार अवस्थी जो कि प्राथमिक शाला गौडपुरवा ललपुर की शाला में प्रथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ था इसने किसी भी प्रकार का आवेदन स्थानांतरण के लिए नहीं किया। उसके बावजूद भी इस प्राथमिक शाला शिक्षक का स्थानांतरण जनपद पंचायत राजनगर से उठाकर बकस्वाहा के निवार प्राथमिक शाला में कर दिया जो कि लगभग ललपुर से 170 किमी दूर स्थित है। शिक्षक ने अपनी आपबीती सुनाते हुए पत्रकारों को बताया कि उसकी पत्नी कस्तूरबा अवस्थी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ललपुर में पदस्थ है उसके दो बच्चे जो कि ग्राम पंचायत ललपुर में पढ़ रहे हैं और बिना आवेदन दिए उसका स्थानांतरण बकस्वाहा के निवार में कर दिया गया है।
ऐसे ही कई शिक्षक जिला शिक्षा कार्यालय में भटक रहे हैं उन्होंने कोई आवेदन स्थानांतरण का नहीं दिया उसके बावजूद भी स्थानांतरण कर दिए गए हैं वहीं कई शिक्षक भोपाल से स्थानांतरण कराकर संकुलों में अपनी ज्वाइनिंग दे रहे हैं जबकि उस संकुल में पद रिक्त ही नहीं है। जिले में शिक्षकों के ट्रांसफर को लेकर अफरा तफरी का माहौल है और प्रभारी मंत्री के ऊपर पूरा दोष मढ़ा जा रहा है। जनप्रतिनिधियां का कहना है कि जो सूची हम लोगों ने छतरपुर कलेक्टर को दी थी उसमें से अधिकांश ट्रांसफर किए ही नहीं गए हैं। शिक्षा अधिकारी की मनमानी के चलते शिक्षकों के तबादले किए गए हैं आने वाले विधानसभा चुनाव में शिक्षकों के द्वारा भारतीय जनता पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा कई शिक्षक जबलपुर हाईकोर्ट में स्टे लेने के लिए चले गए हैं। फिलहाल छतरपुर जिले में शिक्षकों के किए गए तबादलों में भारी लेनदेन की भी चर्चा काफी तेजी से चल रही है। जिसकी शिकायत जनप्रतिनिधियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से की है। अब देखना है कि कितने शिक्षकों के तबादले निरस्त होते हैं।