Financial and family situation worsened after husband death instead of accepting defeat she made herself self reliant – News18 हिंदी

गौरव सिंह/भोजपुर. अक्सर बहुत लोग जिंदगी को कोसते रहते हैं कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है? लेकिन कुछ विपरीत परिस्थितियों में भी एक उदाहरण सेट कर देते हैं. आरा की मीणा नैयर की कहानी भी ऐसी ही है. पति की मौत के बाद आर्थिक और पारिवारिक नुकसान हुआ. लेकिन मीणा ने हार न मानकर हिम्मत जुटाकर खुद का रोजगार शुरू किया. अब वह बेहतर और सम्मान की जिंदगी जी रही हैं. यह झोला, बेडशीट, तकिया कवर, सोफा कवर और इत्यादि वस्तुओं पर हाथ से सुंदर एप्लिक कार्य कर उसे बेचती हैं.
आरा सदर प्रखंड के महुली पंचायत में निर्मल पुर गांव है. यहां की रहने वाली मीणा नैयर ने अपने पति की मौत के बाद जीविका संगठन से जुड़कर अपना खुद का उद्योग स्थापित किया. अपने परिवार का भरण-पोषण का रास्ता आसान बनाया. मीणा ने Local 18 से बताया कि पति की मौत साल 2020 में गंभीर बीमारी से हो गई थी. वह मोटर पार्ट्स की दुकान चलाते थे. पति की मौत के बाद मेरी आर्थिक हालात खराब हो गई थी. इनकी स्थिति देख जीविका दीदियों ने समूह में जुड़ने का आग्रह किया. जीविका के बारे में जानते हुए मीणा नैयर आरती जीविका स्वयं सहायता समूह में जुड़ गई. मीणा नैयर एप्लिक (एक कपड़े के ऊपर दूसरा कपड़ा रख किया गया सौंदर्य कार्य) का काम शुरू किया. मीणा बताती हैं कि इसके लिए शिल्प संस्थान पटना से छह माह का प्रशिक्षण भी लिया है.
यह भी पढ़ें- छत से गिरने के बाद बंद हो गया पंचर का काम, फिर 1000 रुपए से शुरू किया ये काम, आज खड़ा कर दिया बिजनेस
लोन लेकर शुरू की एप्लिक का काम
समूह से 30 हजार रुपये का लोन लेकर एप्लिक का कार्य शुरू किया था. सभी आवश्यक सामग्री आरा और पटना से खरीदती हैं. कपड़ा तैयार कर विभिन्न मेलों में बेचती हैं. सरस मेला, राजगीर महोत्सव, खादी मेला में कुल एक लाख से ज्यादा रुपये का सामान बिक्री की हैं. वह बताती हैं कि मेले में ग्राहक खरीदारी करते समय अतिरिक्त ऑर्डर भी देते हैं. जिसे घर पर आने के बाद बनाकर पूर्ति करती हैं. एक एप्लिक की हुई बेडशीट 1500 रुपये में बेचती हैं. बेडशीट, साड़ी, कुर्ता, फर्श आदि पर एप्लिक का कार्य कर बनाती हैं. इसके अलावा शादी के समय में टेबल क्लॉथ, अप्रोन, कवर, दीवान सेट भी बनाकर बेचती हैं, जिसमें दो से तीन हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा होता है. सब चीजों से अलग जूट का झोला बनाना इनकी विशेष पहचान है. जूट के झोले की डिमांड खूब होती है.
CM नीतीश भी कर चुके हैं तारीफ
मीणा नैयर अपना अनुभव साझा करती हुई कहती हैं कि पति की मौत के बाद वह अवसाद में चली गई थी. कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था. लेकिन, जब समूह से जुड़ी तब अन्य दीदी से मिलकर उन्हें प्रोत्साहन मिला और कुछ करने को सोचने लगी. जीविका में जुड़ी तो न सिर्फ आज वे रोजगार से जुड़ी हैं, बल्कि जिन्दा भी हैं. तीन बेटी और एक बेटा को अच्छे से पढ़ाई और उनका भरण पोषण करती है. महीने में 40 तो किसी में 35 हजार तक की इनकम हो जाती है. मेले में उनके सामानों की बिक्री ज्यादा होती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उनकी तारीफ कर चुके हैं.
.
Tags: Bhojpur news, Bihar News, Local18, Success Story
FIRST PUBLISHED : April 4, 2024, 14:37 IST
Source link