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क्या छतरपुर जिले में कलेक्टर की सामानंतर सरकार? विष्णु के आशीर्वाद से मनमाफिक फरमान

क्या छतरपुर जिले में कलेक्टर की सामानंतर सरकार? विष्णु के आशीर्वाद से मनमाफिक फरमान
- अंततः भुगतना तो बीजेपी को पढ़ेगा

(धीरज चतुर्वेदी)
एक सादे सब सादे,, रहीम के इस यह दोहा के भावार्थ कुछ और हैं पर आज मप्र में भाजपा सरकार के बेलगाम तंत्र को देख मायने कुछ अलग हों चुके हैं। छतरपुर जिले के कलेक्टर ने एक के साध आशीर्वाद से अपने सामानंतर सरकार चलानी शुरु कर दी हैं। हमेशा सुर्खियों में रहने वाले कलेक्टर का बिना सरकार की अनुमति के जारी फरमान इन दिनों सुर्खियों में हैं। जिसमे उन्होंने कलेक्टर सभागृह में बैठक आहूत करने की 500 रूपये फीस निर्धारित कर दी हैं। मजेदार हैं कि इस आदेश में कलेक्टर द्वारा आयोजित बैठक को शुल्क से जहाँ छूट दी गई हैं वहीँ अन्य विभाग अगर कलेक्टर सभागृह का बैठक करते हैं तो उन्हें 500 रूपये अदा करना होगा। इसके पहले भी कलेक्टर के बेढंग आदेश से सरकारी कर्मचारी बेहद तंग हैं जैसे महिलाओ की निर्जला तपस्या के हरतालिका तीज पर मेडिकल स्टॉफ, एएनएम, आशा कार्यकर्ताओ और उनकी सहयोगनियो का वेक्सीनेशन व सर्वे में डूयटी लगा देना हैं। नतीजा सामने हैं की प्रधानमंत्री के आदर्श जिलों में शामिल छतरपुर जिले के भले ही आंकड़ों से कागज रंगे जा रहे हों पर हकीकत यह हैं कि यह जिला घोटालो, बेईमानी, माफियाओ के लिये अपनी पहचान स्थापित करता जा रहा हैं। कहा जाता हैं कि कलेक्टर पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीड़ी शर्मा कि छत्रछाया हैं इस कारण सरकार भी कुछ करने की हालात में नहीं हैं। सरकारी अधिकारी कर्मचारी और आम जनता दोनों त्रस्त नज़र आ रहे हैं। समीक्षको का मानना हैं की अगर इस बेपटरी व्यवस्था पर अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाले चुनाव में फिर भाजपा का छतरपुर जिले में सफाया हों सकता हैं।
छतरपुर जिले में कहने को तो तीन ताकतवर सांसद का प्रतिनिधित्व हैं पर कोई संकोच नहीं की जलजला बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीड़ी शर्मा का हैं। प्रदेश अध्यक्ष का संसदीय इलाका होने से शिव सरकार भी हस्तक्षेप से दूर बनी हैं। कहा जाता हैं कि विष्णु का पूरा आशीर्वाद कलेक्टर पर हैं जिन्हे मनमाफीक छूट मिली हुई हैं। जानकर मानते हैं कि एक ताकतवर की कृपा से कलेक्टर ने भी छतरपुर जिले में अपनी हुक्म की सामानंतर सरकार चलानी शुरु कर दी हैं। देखा जा रहा हैं और बीजेपी नेता भी जिला प्रशासन की बेरुखी को भुगत रहे हैं। याद करें सांसद वीरेंद्र खटीक की कलेक्टर से अनबन कुछ माह पहले सुर्खियों में रही हैं जिसकी सांसद ने शिकायत भी की थी। एक कलेक्टर की नज़र में जब एक सांसद की कुबत नहीं रही तो अन्य स्थानीय नेताओं का दर्द तो बया करने लायक तक नहीं है। बेपटरी व्यवस्था का नतीजा हैं कि पूरे जिले अराजक माहौल हैं। नित रोज नये घोटाले अखबारों की सुर्खिया बन रहे हैं। बालू रेत माफिया और सरकारी जमीनों पर कब्जे बढ़ते जा रहे हैं। सरकार की कोई ऐसी योजना नहीं हैं जिसमें घोटालेबाजो की दीमक ना लगी हों। ज्ञात हों की बेलगाम तंत्र के कारण ही पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का छतरपुर जिले से सफाया हों गया था। 6 में मात्र एक सीट पर भाजपा जीत पाई थी। इस बार ओर विकट संकट हैं क्यों कि कलेक्टर के विवादित फरमानो से सरकारी अधिकारी ओर कर्मचारी भी खफा हैं वहीँ आम जन तो कुचले ओर बेबस नज़र आ रहे हैं। स्थानीय नेताओं की नज़र अंदाजी ओर एकल भक्ति का खामियाजा बीजेपी को भुगतने के लिये तैयार रहना चाहिये।