शिवराज के भाजपा राज में छतरपुर का विकास हद से ज्यादा हो गया है। इसलिए “सबका साथ, सबका विकास ” के मोदी के मूल मंत्र के तहत यहाँ के विकसित संसाधनों को अन्यत्र भेजा जा रहा है और समानता लाने के लिए स्थापित विरासत को भी खतम किया जा रहा है। इसी कड़ी में #शासकीय महाराजा महाविद्यालय के अस्तित्व को समाप्त कर दिया गया है। जिससे प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रो का विश्वास अर्जित किया जा सके।
देश के पहले से विकसित संसाधनो को या तो बेंचा जायेगा अथवा उसका अस्तित्व समाप्त कर दिया जायेगा। क्योंकि मोदी जी को पिछला विकास पसंद नहीं है। वह अपनी दम पर नया विकास लाने संकल्पित हैं। उसी राह का अनुसरण करते शिवराज सरकार छतरपुर में विकास के अभिनव प्रयोग कर रही है कि विकास की जो घोषणाएं की जायेंगी,उनको पूरा नहीं किया जायेगा और जो है भी उसे छीन लिया जायेगा अथवा खतम कर दिया जायेगा। जिससे प्रदेश की अन्य जनता उस पर भेदभाव का आरोप न लगा सके ।आखिर समभाव वाले महान समदृष्टा ही तो सत्ता पर काबिज हैं ।
बात मत करो एनटीपीसी, नर्सिंग प्रशिक्षण केंद्र, संभागीय आंगनवाड़ी प्रशिक्षण केंद्र, मेडिकल कालेज और विश्वविद्यालय की। आकाशवाणी के केवल रिले सेंटर रह जाने की। चुनावी घोषणायें वीरों की तरह करेंगे और बाद में उसे पूरा करने में नानी मर जायेगी। जो कहेंगे, उसे करेंगे नहीं और जो है, उसे दूसरी जगह ले जायेंगे अथवा समाप्त कर देंगे। अरे, थूक कर चाटने वालों अपने बाप के पैसों से किया है क्या छतरपुर का विकास?जो जब चाहोगे वापस ले लोगे अथवा अस्तित्व समाप्त कर दोगे?जनता की आवाज और धन से हुए विकास से खिलवाड़ करने वाले यह भ्रष्टाचारी सत्ताधीश होते कौन हैं?हैं?
भाजपा के सूरमां नेता मुँह में लिपस्टिक लगाये मौन हैं ।जातिवाद और गुटबाजी की राजनीति करने में मुखर सत्तादल के नेताओं को लकवा मार गया है।उनसे कुछ कहते सुनते नहीं बन रहा है। उनको केवल अपने विकास की चिंता है, जिले और जनता के विकास की नहीं। लेकिन जिले की जनता अब ऐसा अन्याय बर्दाश्त नहीं करेगी। ऐसे हथकंडों का प्रबल विरोध किया जायेगा।
छतरपुर की वीर भोग्या वसुंधरा अपने हितो का संरक्षण करना जानती है। किसी मोहन को कंस बनाना भी जानती है और शिवराज के घमंड को चूर करना भी। एक सीमा रेख भी है बेबशी की।ऐतिहासिक महाराजा कालेज के अस्तित्व से खिलवाड़ कर जनक्रांति को आमंत्रित मत करो।
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