रेत का वैधानिक उत्खनन बंद: 4 माह से छतरपुर जिले में सरकार को रेत से एक पाई का राजस्व नही
छतरपुर। पिछले लगभग चार महीने से छतरपुर जिले में रेत का वैधानिक उत्खनन बंद पड़ा है। सरकार ने लखनऊ की जिस आनंदेश्वर एग्रो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को छतरपुर की खदानों से रेत उत्खनन का ठेका दिया था वह कंपनी बीच में ही काम छोड़कर भाग गई। ऐसे में अब जिले की 48 खदानों में पड़ी लगभग 18 लाख घनमीटर रेत लगातार रेत माफियाओं के द्वारा चोरी की जा रही है। खनिज विभाग अब इस रेत को नीलामी के जरिये नए ठेकेदार को बेचने की तैयारी कर रहा है। भोपाल खनिज मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इसी महीने ऑनलाइन नीलामी के जरिये रेत का काम नए ठेकेदार को सौंपा जा सकता है।
विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि भोपाल कार्यालय के द्वारा छतरपुर के कार्यालय से रेत संग्रहण की तमाम जानकारियां मंगाई गई हैं। खबर है कि 18 लाख घनमीटर रेत को दो ठेकेदारों के मध्य बेचे जाने अथवा तहसील स्तर पर रेत के छोटे ठेके दिए जाने की तैयारी है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो अक्टूबर से जिले में रेत का वैधानिक उत्खनन शुरू हो सकता है। इसके लिए विभाग नए ठेके और नीलामी की प्रक्रिया में जुटा हुआ है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लगभग 100 करोड़ रूपए में छतरपुर की रेत खदानों से रेत के उत्खनन का ठेका लखनऊ की कंपनी को दिया था। ठेकेदार ने लगभग 8 महीने काम करने के बाद कोरोना के कारण हुए नुकसान के चलते इस काम को छोड़ दिया था। ठेेकेदार पर सरकार की 24 करोड़ से अधिक की लेनदारी है। इसे लेकर भी दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन पा रही है। इसको लेकर छतरपुर जिले में रेत का वैधानिक उत्खनन बंद पड़ा है। सरकार को रेत से एक पाई का राजस्व नहंी मिल रहा है जबकि रेत माफिया धड़ल्ले से रेत की चोरी कर रहे हैं।