Learn And Earn Scheme On The Verge Of Closure – Bhadohi News

तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई योजना
विस्तार
शिक्षित युवाओं को रोजगार से जोड़ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में सीखो कमाओ योजना का शुभारंभ किया गया था जो मजाक बनकर रह गई है। दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लाक में ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां प्रशिक्षण लेने वाले युवा गायब हैं और प्रशिक्षण देने वाले रजिस्टर्ड संस्थान शासन से राशि ले रहे हैं। योजना में शिक्षित युवा जिनकी आयु 18 से 29 वर्ष है, वह किसी भी फर्म या प्रतिष्ठान में जाकर कार्य सीख सकते हैं, उसके बदले जो उनको प्रशिक्षण देगा, उसके लिए शासन प्रतिमाह राशि देगी।
योजना के फार्म जून 2023 में जमा हुये थे। जिसमें दमोह जिले के तेंदूखेड़ा नगर और ग्रामीण क्षेत्र के इच्छुक प्रतिष्ठान ने ऑनलाइन आवेदन किया था और बाद में इन्होंने वह राशि भी ली है, जो प्रशिक्षण के बदले शासन द्वारा दी गई है, लेकिन अब जानकारी यह मिल रही है कि तेंदूखेड़ा में जो फर्म बनी थी, वह केवल कागजों तक ही सिमित होकर रह गई है। क्योंकि हकीकत में ऐसा कोई प्रशिक्षण नगर की किसी संस्था या प्रतिष्ठान द्वारा युवाओं को नहीं दिया गया है।
कागजों में दर्शाई गई संख्या
सीखो कमाओ योजना तेंदूखेड़ा में सितंबर माह से चल रही है और इस योजना के तहत सैकड़ों युवा प्रतिष्ठानों पर जाकर प्रशिक्षण ले रहे हैं, लेकिन वह कौन से प्रतिष्ठान हैं, इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है। जानकारी देने वालों सूत्रों ने बताया कि सीखो कमाओ योजना मे तेंदूखेड़ा में जिन फर्मो ने पंजीयन किये हैं, वह किसी भी युवा को प्रशिक्षण नहीं दे रहे। क्योंकि इस योजना में उन युवाओं की जानकारी ही फर्म से नहीं मांगी गई है, जिसको ये फर्म प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसलिए नगर के जीएसटी नंबर लेने वाले उन लोगों ने इसका फायदा उठाया और अपने-आपने आवेदन ऑनलाइन कर दिए और वह बिना सत्यापन किये मंजूर भी हो गये।
ये भी थे नियम
बताया गया है कि ज़ब यह योजना शुरू की गई थी तो उसमें यह भी नियम था कि जो फर्म इस योजना में आवेदन करेगी, वह प्रशिक्षण के दौरान अपने भाई, बहन को उन युवाओं में शामिल नहीं कर सकती। जिनको वह प्रशिक्षण दे रही है। तेंदूखेड़ा में भी इस योजना में 75 से अधिक फर्मो ने आवेदन किये, लेकिन इन्होंने किन युवाओं को प्रशिक्षण दिया है, इसकी किसी को जानकारी नहीं है। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि इस योजना में केवल जीएसटी नंबर ही सही है, बाकी जो जानकारी प्रशिक्षण देने वाली फर्म या संस्था द्वारा दी गई है वह पूरी गलत है।
इस योजना का संचालन करने के लिए शासन ने शासकीय औद्योगिक संस्था आईटीआई को जिम्मा दिया था, लेकिन किसी ने इसका सत्यापन नहीं किया न ये जानने का प्रयास किया कि योजना का लाभ युवा ले रहे हैं या नहीं। यदि इन प्रतिष्ठानों का ठीक तरीके से सत्यापन हो जाये तो कई ऐसे मामले सामने आएंगे कि जीएसटी वाले को पता ही नहीं और उसके प्रतिष्ठान का लाभ कोई और ले रहा है। सीखो कमाओ योजना का जिले में संचालन आईटीआई विभाग द्वारा किया जा रहा है।
इसलिए दमोह आईटीआई के प्राचार्य अभिषेक तिवारी से पूरे मामले को लेकर बात की तो उन्होंने बताया कि जिस समय यह योजना आई थी। उस समय प्रतिष्ठानों के सत्यापन के आधार पर ही फर्म ऑनलाइन किये थे। यदि इसमें कोई कमी पाई जाती है तो सबसे पहले वही प्रतिष्ठान जिम्मेदार होगा। जिले में सभी ब्लाकों में यह पंजीयन हुये थे। तेंदूखेड़ा में 83 प्रतिष्ठानों के पंजीयन है, जिसमें 40 प्रतिष्ठान ऐसे हैं जो 19-19 युवाओं को अलग-अलग क्षेत्र में प्रशिक्षण दे रहे हैं। यह बात उन्हीं के द्वारा प्रमाणित की गई है, लेकिन अब शासन स्तर पर इसका सत्यापन कराया जा रहा है। सत्यापन में ही पूरी जानकारी स्पस्ट होगी।
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