जन्मदिन विशेष: बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह

प्रतीक खरे
छतरपुर। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं प्रदेश कार्य समिति सदस्य पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह गुड्डू भैया ने अपने दमदार कार्यक्रमों के माध्यम से आम जनता के दिलों में न सिर्फ एक कुशल राजनैतिक बल्कि धर्मध्वजा धारण करने वाले कर्तव्य निष्ठ समाजसेवी की जो छवी स्थापित की है वह किसी से छिपी नहीं है। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह ने कम उम्र में ही केवल छतरपुर नहीं पूरे बुन्देलखण्ड में एक कद्दावर नेता की पहचान बनाई है। कल 24 सितम्बर को उनका जन्मदिन है मैं उन्हें जन्मदिन की हार्दिक बधाईयां एवं शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए उनकी लम्बी आयु की कामना करता हूं और उनके द्वारा किये गये कार्यों पर संक्षिप्त प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूं।
स्वर्गीय गया प्रसाद सिंह के परिवार में तीसरी पीढ़ी के रूप में जन्में पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह ने राजनीति की बारहखड़ी बाल्यकाल में ही सीख ली थी। क्योंकि उनके दादा स्व. गया प्रसाद सिंह तब छतरपुर जिले में भारतीय जनता पार्टी के झण्डावरदार थे। जब जिले में भारतीय जनता पार्टी की कोंपलें निकलना ही शुरू हुई थीं। राजनीति के संस्कार और भारतीय जनता पार्टी विचारधारा की घुट्टी उन्होंने अपने दादा जी की गोद में खेलते-खेलते ही पी ली थी। छात्र राजनीति से शुरू हुआ उनका राजनैतिक कैरियर युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष से लेकर भारतीय जनता पार्टी के जिला महामंत्री और फिर भाजपा जिलाध्यक्ष की सीढ़िया नापते हुए प्रदेश कार्य समिति सदस्य तक जा पहुंचा है। अपने इस दो दशक के अल्प कार्यकाल में ही उन्होंने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में शिक्षा के प्रति उदासीनता, जनसेवा का अभाव, मूलभूत सुविधाओं की शून्यता और शुद्ध पेय जल की कमी महशूस कर इस क्षेत्र में नये-नये नवाचार करने का निर्णय लिया और अपने संकल्प की पूर्ति के लिए दिन-रात मेहनत में जुट गए। बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करने का उद्देश्य लेकर उन्होंने गांव-गांव में काॅपी, किताबों और बस्तों का वितरण करवाया, सामाजिक संगठनों को सशक्त करने की दिशा में कदम उठाये, युवाओं को खेल के प्रति आकर्षित करने और खेलों को बढ़ावा देने के लिए गांव-गांव की प्रतिभाओं के बीच खेल सामग्रियों का वितरण कराया, धार्मिक वातावरण निर्मित करने और लोगों को अपने धर्म के प्रति मजबूती से जोड़े रखने के लिए गांव-गांव न सिर्फ धार्मिक आयोजन कन्याभोज व भण्डारे आयोजित करवाये बल्कि संगीत की सामग्रियों का वितरण भी करवाया। इतना ही नहीं शक्ति, विद्या की दात्रि कही जाने वाली मां दुर्गा की प्रतिमाओं को निःशुल्क न्योछावर के साथ गांव-गांव में स्थापित कराने की परम्परा विकसित की। जिला मुख्यालय पर बड़े पैमाने पर खेल स्पर्धायें आयोजित करवाईं और बुन्देलखण्ड से लगभग विलुप्त हो चुकी कांवड यात्रा की परम्परा को पुनर्जीवित कराने का अनूठा अभियान चलाया। पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह ने अपनी छोटी सी उम्र में ही राजनीति में कई ऐसे नवाचार किये जिनका छतरपुर जिले के कई नेता अनुशरण करते हुए देखे गए।
मिलने का समय किसी भी समय
यह कुटेशन पढ़ने में कुछ अजीब लगेगा पर सौ टंच खरा है। उन्होंने छतरपुर जिले के शोषित पीड़ित गरीब और जरूरतमंद लोगों की सेवा के लिए अपने घर पर ही जन कार्यालय के नाम से एक आॅफिस संचालित किया हुआ है जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा गया है मिलने का समय किसी भी समय और इस मिलने के समय को कई जरूरतमंद लोगों ने आजमाया भी है, वे रात में 12 बजे भी यदि किसी समस्या से ग्रसित होकर उनके जन कार्यालय पहुंचे तो उसे रात में ही राहत पहुंचाने का काम किया गया। इस कार्यालय के माध्यम से रोज मर्रा के छोटे-छोटे कार्य आसानी से निपटाये जा रहे हैं, जिससे लोगों को इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता है।
बीमारी में भी बीमारों की सेवा
पिछले डेढ़ वर्षों से पूरे देश के साथ छतरपुर जिला भी कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। लोगों की मदद का जुनून पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह पर इस कदर हावी है कि उन्होंने बीमारी में भी लाचारी नहीं दिखाई और स्वयं बीमार होने के बाद भी बीमारों की दिन-रात सेवा की। जी हां हम बात कर रहे हैं उस कोरोना महामारी की जिसने न सिर्फ स्वयं पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह को अपनी गिरफ्त में लिया बल्कि उनकी पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष पत्नि अर्चना गुड्डू सिंह, रिडायर्ड डीएसपी पिता गया प्रसाद सिंह, भाई उपेन्द्र प्रताप सिंह, चाचा करूणेन्द्र प्रताप सिंह और बेटी सहित लगभग पूरा परिवार इस भयानक बीमारी की चपेट में आया पर उन्होंने अपना समाजसेवा का मार्ग नहीं छोड़ा और बीमार होने के बाद भी छतरपुर शहर को सैनेटाईज कराने से लेकर निःशुल्क आॅक्सिजन बैंक बनाकर बीमारी से जूझ रहे लोगों की जान बचाने के लिए निःशुल्क मोबेलाईजर, निःशुल्क आॅक्सिजन कंसलटेटर व गैस सिलेण्डरों का लगातार वितरण कराया। बुन्देलखण्ड में इतनी लगन और मेहनत के साथ राजनीति, समाजसेवा और धार्मिक आयोजनों का ध्वज थामने वाले पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह इकलौते नेता हैं ऐसे नेता की वर्षों से कमी महसूस की जा रही थी इस कमी को पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह ने काफी हद तक पाटने का प्रयास किया है। उनके जन्मदिन पर मैं एक बार पुनः उन्हें बधाईयां व शुभकामनाएं पेे्रषित करता हूं और दीर्घायु की कामना करता हूं।