Engineering students made go-kart in 6 months, cost is only 1.5 lakh | सुपर-30 की रेसिंग कार:VIDEO: इंजीनियरिंग के छात्रों ने 6 माह में तैयार की गो-कार्ट,कीमत सिर्फ डेढ़ लाख – Jabalpur News

जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने एक ऐसी कार तैयार की है, जो कि बहुत जल्द आपको इंडियन कार्टिंग चैम्पियनशिप में देखने को मिलेगी। सुपर-30 की टीम ने महज छह माह में ही इस कार को तैयार किया है, जिसका नाम रखा है गो-कार्ट कार। फॉर्मूला रेसिंग कार की तर
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छह माह पहले तैयार की कार की डिजाइन
जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज मैकेनिकल के फाइनल ईयर के छात्र मोहम्मद हुसैन ने इस कार की नींव रखी। छह माह पहले छात्र ने इसकी रफ ड्राइंग तैयार की और अपने प्रोफेसर को दिखाई। टीचर को डिजाइन पसंद आई तो उन्होंने छात्रों को कार बनाने की अनुमति दी। मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र मोहम्मद हुसैन ने कार बनाने के लिए अपनी टीम तैयार की, जिसमें 30 लोगों को रखा गया। टीम में हर ईयर, हर विभाग के छात्र-छात्राओं को शामिल किया और फिर बनाना शुरु कर दिया रेसिंग कार। छह माह की दिन-रात मेहनत के बाद मोहम्मद हुसैन की सुपर-30 टीम ने तैयार कि गो-कार्ड, इस कार को काफी हद तक जुगाड़ के साथ तैयार किया गया है, जो कि कार्टिंग चैम्पियनशिप में महंगी,ब्रांडेड कार को टक्कर देगी। इसी साल कोलापुर में कार रेसिंग होनी है। सभी को उम्मीद है कि चैम्पियनशिप में निश्चित रूप से इस कार के जरिए रैंक जरुर मिलेगी। कार को तैयार करने के बाद उसे कालेज के ही ग्राउंड में चेक किया गया। अब कार में सिर्फ पेंट करना बाकी रह गया है। इसके बाद ये पूरी तरह से तैयार हो जाएगी।
पल्सर बाइक का इंजन-लोहे का स्ट्रक्चर
गो-कार्ट बनाने वाली टीम के कप्तान मोहम्मद हुसैन ने दैनिक भास्कर को बताया कि इस कार की ड्राइंग तो तैयार कर ली गई, पर इसे जमीनी स्तर पर बनाना चुनौती थी, लिहाजा हुसैन और उनकी टीम को मदद मिली प्रोफेसर डीएस रावत की, जिन्होंने कि समय-समय पर छात्रों की मदद की। मोहम्मद हुसैन ने बताया कि गो-कार्ट रेसिंग कार बनाने के लिए पल्सर बाइक का इंजन उपयोग किया गया है, इसके अलावा इंदौर से खास तरह के टायर बुलवाए गए है। चैचिस मटेरियल दिल्ली से बुलवाए गए है। सेफ्टी सूट पुणे से बुलवाए गए है। पांच गियर की गो-कार्ट में पेट्रोल टैंक, गियरबॉक्स, खास तरह की सीट, स्टेंरिग मैकेनिज्म को असेम्बल करवाकर तैयार किया गया है। गो-कार्ट कार का एवरेज 30 किलोमीटर प्रति लीटर का है। 2022 में भी बनाई थी रेसिंग कारजबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने इससे पहले भी रेसिंग कार बनाई थी और कार चैम्पियनशिप में उतारी थी, लेकिन कुछ ना कुछ कमी होने के कारण सफल नहीं हो पाई। मोहम्मद हुसैन ने बताया कि 2022 में बनाई गई एटीवी कार को और अपडेट किया गया है। उसमें कुछ कमी थी, जिसे कि पूरा कर लिया गया है। निश्चित रूप से हमारे द्वारा बनाई गई गो-कार्ट जब रेसिंग में उतरेगी तो कोई ना कोई रैंक जरूर लाएगी।
छात्राओं ने कार में की बेल्डिंग
मोहम्मद हुसैन की सुपर- 30 टीम में अलग-अलग क्लास के छात्र,छात्राएं है। इसमें कुछ छात्राएं मेकाट्रोनिक्स, मैकेनिकल इंजीनियर, इलेक्ट्रिकल, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के भी है। मेकाट्रोनिक्स की छात्रा ने बताया कि टीम का हिस्सा बनकर बहुत अच्छा लग रहा है। बीते 6 माह इस कार को तैयार किया जा रहा है। छात्रा अभिलाषा ने बताया कि टीम के कप्तान ने कार में बेल्डिंग, ग्राइडिंग का काम सौंपा है। इसके साथ-साथ कार का एलाइनमेंट कैसे करना है। कार रफ्तार के समय बैलेंस रहें, इसका फाइनल डिजाइन भी मेरे द्वारा तैयार किया गया है। अभिलाषा का कहना है कि इस सुपर-30 टीम का हिस्सा बनकर बहुत ही अच्छा लग रहा है।
देश भर में होने वाली चैम्पियनशिप में लेते है भाग
टीम के मेंटर और कॉलेज के प्रोफेसर डीएस रावत का कहना है कि इससे पहले भी छात्रों ने रेसिंग कार बनाकर कई प्रतियोगिता में शामिल हो चुके है, लेकिन मोहम्मद हुसैन की जो कार है वो निश्चित रूप से हटके है। उन्होंने बताया कि नेशनल कार चैम्पियनशिप में जब भी किसी कार को शामिल किया जाता है तो उसके बहुत सारे रूल और रेगुलेशन होते है, उसी के अनुरूप छात्र कार को तैयार करते है। प्रोफेसर डीएस रावत ने बताया कि इससे पहले भी 2022 में गोवा में हुई कार रेंसिग में कॉलेज के छात्रों की एटीवी कार को शामिल किया गया था, पर उसके सस्पेंशन में कुछ कमियां थी, जिसे कि इस बार बदला गया है। और अपडेट की गई है। उम्मीद है कि जब ये कार रेंसिग के मैदान में उतरेगी तो ना सिर्फ जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज बल्कि पूरे मध्यप्रदेश का नाम रोशन करेगी।
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