18 crore deposits are not being used | 18 करोड़ डिपॉजिट का नहीं हो रहा उपयोग: 15 साल में 1500 वर्गफीट से बड़े प्लॉट पर बनीं 18 हजार इमारतें, केवल 1500 ने लगवाया वाटर हार्वेस्टिंग – Bhopal News
बरसात के पानी को जमीन के नीचे पहुंचाने के लिए राजधानी में 1500 वर्ग फीट के प्लॉट पर साल 2009 से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया जा चुका है। इन 15 सालों में लगभग 18 हजार बिल्डिंग 1500 वर्ग फीट से बड़े प्लॉट पर बनाई जा चुकी हैं, लेकिन इनमे
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राजधानी में 26 दिसंबर 2009 से यह सिस्टम अनिवार्य किया गया है। लोग वाटर हार्वेस्टिंग लगवाएं यह सुनिश्चित करने के लिए निगम बिल्डिंग परमिशन जारी करते वक्त ही प्लॉट के आकार के आधार पर सिक्योरिटी मनी जमा कराता है। यह 9000 से लेकर 15 हजार तक होती है। यह पैसा कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करने से पहले रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे होने की पुष्टि करके संबंधित को लौटा दिया जाना चाहिए।
लेकिन न तो लोग वाटर हार्वेस्टिंग करते हैं और न कंप्लीशन सर्टिफिकेट लेते हैं और यह राशि निगम के पास जमा रहती है। जमीनी हकीकत यह है कि शहर की ज्यादातर काॅलोनियों में मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग नहीं है। यहां तक कि नगर निगम के खुद के भवनों में भी वाटर हार्वेस्टिंग नहीं किया जा रहा है। वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति लापरवाही का ही नतीजा है कि हर साल गर्मी में भूजल का स्तर बनाए रखने के लिए बोरिंग पर रोक लगाना पड़ रही है।
निगम की इमारतों में ही नहीं लगा आरडब्ल्यूएच सिस्टम
बिल्डिंग शाखा के पास 18 करोड़ रुपए जमा हैं। फीस लेने के बाद निजी मकानों में यदि आरडब्ल्यूएच नहीं लगे हैं, तो इन्हें लगवाने की जिम्मेदारी इसी शाखा की है। स्थिति यह है कि निगम की इमारतों में ही आरडब्ल्यूएच सिस्टम नहीं लगा है। टीटी नगर स्मार्ट मल्टीलेवल पार्किंग, एमपी नगर मल्टीलेवल पार्किंग समेत शहर की कई बड़ी बिल्डिंगों में यह सुविधा ही नहीं है।
न्यू मार्केट मल्टीलेवल पार्किंग में भी नहीं आरडब्ल्यूएच सिस्टम
न्यू मार्केट में बनी मल्टीलेवल स्मार्ट पार्किंग में आरडब्ल्यूएच सिस्टम नहीं लगा है। यहां पर पाइप के जरिए पानी नीचे तो आता है, लेकिन करीब 10 फीट ऊपर से ही जमीन पर गिरने लगता है। यानी ग्राउंड में जाने वाला बारिश का पानी खुले में बहता है। जिससे ग्राउंड वाटर रिचार्ज नहीं हो पाता है और वाटर लेवल गिरने लगता है।
इसलिए जरूरी: शहर में कई जगह 500 फीट गहराई पर भी पानी नहीं
सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड ने भूजल के मामले में भोपाल को सेमी क्रिटिकल कैटेगरी में रखा है। शहर में ऐसे कई स्थान हैं, जहां 500 फीट गहराई पर भी पानी नहीं है। शहर के कई इलाकों और अंदरूनी हिस्सों में जल स्तर नीचे चला जाता है। इसे सुधारने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगानी जरूरी है। क्योंकि 300 वर्ग फीट की छत पर यह सिस्टम लगाकर करीब 60 हजार लीटर पानी जमीन के अंदर पहुंचाया जा सकता है।
समाधान – नगर निगम कंप्लीशन सर्टिफिकेट देना जरूरी करे, अभियान चलाए
नगर निगम को कंप्लीशन सर्टिफिकेट लेना जरूरी कर देना चाहिए। यह जरूरी करने से आरडब्ल्यूएच लगाना जरूरी हो जाएगा और जो नहीं लगाएंगे वहां नगर निगम यह काम करे। जिन लोगों की फीस पहले से जमा है वहां इसे लगाने का अभियान चलाना पड़ेगा। इसके अलावा सर्वे करवाना चाहिए कि पुराने लगे आरडब्ल्यूएच सिस्टम की क्या स्थिति है। समय पर उनकी मरम्मत करवानी चाहिए।
– डॉ.शीतल शर्मा, सदस्य, रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट