भ्रष्टाचार के मामले में लोकायुक्त न्यायालय ने आरोपी बैंक कैशियर को सुनाई 5 साल की सजा, भेजा जेल
लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार करना समाज व लोकतंत्र के लिये घातक: न्यायालय
छतरपुर। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम माननीय सुधांशु सिन्हा की अदालत द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में सख्त रुख अपनाते हुये आरोपी एच.एल. जडिय़ा बैंक कैशियर मध्यभारत ग्रामीण बैंक शाखा किशनगढ को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1)(डी) में 5 साल की कठोर कारावास एवं 10000 रूपये अर्थदण्ड एवं धारा-7 के अंतर्गत 4 वर्ष का कारावास एवं 15000 के जुर्माने की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश सुधांसु सिन्हा ने अपने निर्णय में कहा कि भ्रष्टाचार लोकतंत्र और विधि के शासन को हिला रहा है ऐसी स्थिति में आरेापी को दण्डित किये जाने में नम्र रूख अपनाया जाना विधि की मंशा के विपरीत होगा, भ्रष्टाचार के प्रति कठोर रूख अपनाया जाना समय की मांग है। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक एडीपीओ के.के. गौतम ने पैरवी करते हुये मामले के सभी सबूतो को कोर्ट में पेश किया तथा आरोपी को अधिकतम दण्ड दिये जाने का माननीय न्यायालय से अनुरोध किया।अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी शिवाकांत त्रिपाठी ने बताया कि दिनांक 08/07/14 को फरियादी महेन्द्र सिंह गौड़ निवासी ग्राम सुकवां तहसील बिजावर जिला छतरपुर ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय सागर में इस आशय की शिकायत की थी कि मेरे भाई वीरेन्द्र प्रताप सिंह गौड़ के नाम से मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्तत जनपद से कुटीर मंजूर की गई है जो कि पहली किश्त 50 हजार रूपये बैंक से मिलना है मध्य भारत ग्रामीण बैंक शाखा किशनगढ़ का कैशियर हीरा लाल जडिय़ा पहली किश्त देने के लिये एक हजार रूपये रिश्वत की मांग कर रहा है हमारे ग्राम में 15 कुटीर पास हुई थी 2 ग्राम किशनगढ़ में पास हुई थी जो महेन्द्र सिंह के द्वारा कराई गई थी कुल 17 कुटीर पास हुई थी जिसमें 13 कुटीर के हम लोग 13 हजार दे चुके है शेष 4 कुटीर के 4 हजार देना रह गये है मै पैसा नही देना चाहता हू आरोपी को रंगे हाथ पकड़वाना चाहता हू।फरियादी की उक्त शिकायत पर से लोकायुक्त सागर द्वारा टीम बनाकर आरोपी को रिश्वत लेते हुये रंगे हाथो पकडा गया था तथा आरोपी के विरुद्ध विवेचना उपरांत चालान माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था, विशेष लोक अभियोजक लोकायुक्त द्वारा अभियोजन के द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष 14 अभियोजन साक्षियों को प्रस्तुत किया गया जिनके आधार पर विचारण उपरान्त माननीय न्यायालय द्वारा उक्त सजा सुनाई गयी है।