एक बार फिर मंत्री बने डॉ. वीरेंद्र कुमार: लो प्रोफाइल रहना खासियत; अजा वर्ग का बड़ा चेहरा, आठ बार चुने गए सांसद

डॉ. वीरेन्द्र कुमार एक बार फिर से मोदी सरकार 3.0 में मंत्री बन गए हैं। टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र से आठवीं बार सांसद चुने गए वीरेंद्र खटीक लोकप्रिय नेता हैं। सागर में जन्मे वीरेंद्र खटीक को पिछली सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली थी। सबसे अनुभवी डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक ही हैं। वे आठवीं बार सांसद बने हैं। वीरेंद्र कुमार ने चार लोकसभा चुनाव प्रदेश की सागर लोकसभा सीट और चार लोकसभा चुनाव टीकमगढ़ लोकसभा सीट से जीते हैं। पहली बार वो साल 1996 में हुए 11वें लोकसभा चुनावों में निर्वाचित हुए। जिसके बाद उन्होंने साल 1998, 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में अपने प्रतिद्वंदियों पर जीत हासिल की। 2024 के चुनाव में वे चार लाख मतों से जीते हैं। उन्होंने कांग्रेस के पंकज अहिरवार को हराया था।
पीएचडी हैं वीरेंद्र कुमार
बता दें कि डॉ. वीरेंद्र कुमार उच्च शिक्षित हैं। उन्होंने पीएचडी कर रखी है। उनका जन्म सागर जिले में हुआ था। उनके पिता अमर सिंह और माता सुमत रानी हैं। उनका विवाह 1987 में कमल वीरेंद्र से हुआ है। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। गौरीशंकर शेजवार उनके बहनोई हैं। उनका पारिवारिक पेशा खेती-किसानी है। उनके पास 2 करोड़ 88 लाख की प्रॉपर्टी है। वीरेंद्र के खिलाफ कोई क्रिमिनल केस नहीं है।
लंबा राजनीति अनुभव
डॉ. वीरेंद्र खटीक का लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है। 1977 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे, वे रीवा संयोजक बने थे। 1979-82 से वे मंडल संगठन सचिव रहे। इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा की राजनीति शुरू की। 1982 से 84 तक वे सागर जिले के महासचिव रहे। 1987 में बजरंग दल के सागर जिले के संयोजक बने। 1991 में भाजपा में सागर के सचिव बनाए गए। 1994 में भाजपा के राज्य प्रतिनिधि बने। 1996 में पहली बार सांसद चुने गए। उनकी सक्रियता को देखते हुए उन्हें श्रम और कल्याण संबंधी स्थायी समिति का सदस्य बनाया गया। 1998-99 में वे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की परामर्श दात्री समिति के सदस्य बने। 1998 में दूसरी बार सांसद चुने गए। 1999 में तीसरी बार सांसद बनने का मौका मिला। 2004 में बतौर सांसद चौथा कार्यकाल शुरू किया। इस दौरान वे श्रम संबंधी समिति में सदस्य रहे, विशेषाधिकार समिति में सदस्य रहे। 2006-08 में भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रहे। 2009 में पांचवीं बार सांसद बने। मई 2014 में छठी बार सांसद चुने गए।
केंद्र में बने मंत्री
अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के कल्याण संबंधी समिति में सदस्य बने, श्रम संबंधी स्थायी समिति में सभापति रहे। ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति में सभापति बनाए गए। 3 सितम्बर, 2017 को वे केंद्रीय राज्य मंत्री बने। उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय; और अल्प संख्यक कार्य मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। 2019 में सातवीं बार सांसद बने। जून 2019 में प्रोटेम स्पीकर रहे। सत्रहवीं लोकसभा में वे केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बने, उन्हें सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय दिया गया।
लो प्रोफाइल रहना खासियत
डॉ. वीरेंद्र कुमार जमीन से जुड़े नेता हैं। 2009 से वे टीकमगढ़ सीट से सांसद हैं। वे यहीं सिविल लाइन में निवास करने लगे हैं। केंद्रीय मंत्री होने के बाद भी वे बिना सुरक्षा क्षेत्र में घूमते रहते हैं। बाइक, स्कूटर से घूमते मिल जाते हैं। यहां तक की सब्जी लेने भी पहुंच जाते हैं। वे लोगों से लगातार संवाद करते रहते हैं। आमजन से उनका सीधा जुड़ाव है। वह सादगी के लिए जाने जाते हैं और अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलते हैं। वीरेंद्र कुमार अपनी ‘‘विनम्र जड़ों’’ को कभी नहीं भूलते हैं और आज भी अपने बजाज सुपर स्कूटर की सवारी करना पसंद करते हैं। वह इस क्षेत्र में साइकिल पंक्चर की मरम्मत करने वालों के साथ बैठने में कभी शर्म महसूस नहीं करते और उनकी तथा गरीबों की मदद भी करते हैं। वह आज भी अपने वर्तमान निर्वाचन क्षेत्र में स्कूटर की सवारी करते हैं। ऐसा कर जनता उन्हें अपने जैसा साधारण व्यक्ति समझती है और इसलिए वे खुले दिल से अपनी समस्याएं उन्हें बताते हैं, जिससे उनका निवारण जल्द हो जाता है।
राजनीति में आने से पहले वह हेडमास्टर थे। वह 1972 में आपातकाल लगाने के विरोध में आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (मीशा) के रखरखाव के तहत 16 महीने के लिए सागर और जबलपुर जेल में रहे।