मध्यप्रदेश शासन ने छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर को सागर जिले का कलेक्टर बना दिया है और उनके स्थान पर छिंदवाड़ा जिला पंचायत के सीईओ पार्थ जायसवाल को छतरपुर जिले का कलेक्टर बनाया है। ऐसा सरकारी हुक्मनामा जारी हो चुका है।
राज्य शासन लगता है इन दोनों आइएएस अधिकारियों से खुश है। तभी छतरपुर कलेक्टर संदीप जी.आर को बड़े जिले और संभाग मुख्यालय की कलेक्टरी सौंपी गई है तथा 2015 बैच के आईएएस पार्थ जायसवाल को सीईओ जिला पंचायत के पद से पहली बार कलेक्टरी सौंपी गई है।
जहां तक छतरपुर जिले में कलेक्टर संदीप जीआर के कार्यकाल की बात है, तो वह उर में बदलाव की आग तो लिए रहे, लेकिन हालात बदल नहीं पाये। जिस भी काम को उन्होंने हाथ में लिया, उसमें सफल नहीं हो पाये। सबसे ज्यादा समय उन्होंने जिला अस्पताल के हालात सुधारने में लगाया, लेकिन जिला अस्पताल के हालात जस के तस हैं और वह खुद बीमार बना हुआ है। प्रशासनिक नियंत्रण और भ्रष्टाचार को काबू कर पाने में भी वह असफल साबित रहे।
जहां तक संदीप जीआर की संवेदनशीलता की बात है, वह निजी तौर पर तो संवेदनशील हैं, लेकिन प्रशासनिक मुखिया के तौर पर उनकी संवेदनशीलता सवालों के घेरे में रही। जनसमस्याओं की सुनवाई कर पाने में वह सफल नहीं रहे। कलेक्ट्रेट को सुरक्षा की दृष्टि से अभेद्य किला बना देने और अधिकतर प्रवेश द्वार बंद करवा देने से दुखड़ा लेकर आई जनता को उनके दर्शन तक नसीब होना दुश्वार रहा। वह जिले के राजस्व अमले के भ्रष्टाचार पर तक लगाम लगा पाने में नाकाम रहे। जायज कामों की फाइलें तक धूल खाती रहीं। जिले का आर्म्स विभाग तो उनकी उदासीनता से मक्खी मारने का काम ही करता रहा।
इसमें कोई दो राय नहीं कि उनके कार्यकाल में खनिज का अवैध उत्खनन खूब हुआ। रेत का अवैध कारोबार खूब फला फूला। शासन की नजरों में इसके बावजूद वह सफल और अच्छे साबित हुये, तभी उनको एक बड़े जिले की कलेक्टरी फिर सौंप दी गई है। लेकिन जनता की नजरों में उनकी कलेक्टरी और सम्वेदनशीलता कटघरे में है। इसमें कोई दो राय नहीं कि व्यक्तिगत तौर पर वह एक बेहतर इंसान हैं, लेकिन एक बेहतर प्रशासक नहीं।
अब छतरपुर की कलेक्टरी को पार्थ जायसवाल सुशोभित करेंगे। उनका कार्यकाल कैसा रहेगा?यह आगे चलकर उनकी कार्यशैली से पता चलेगा। हमारी उनसे यही अपेक्षा है कि जनहितों के पलड़े पर वह खरे साबित हों और जनसमस्याओं के समाधान की दिशा में अहम भूमिका निर्वाह करें।
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