छतरपुर जिले में 105 गौशालाएं: लेकिन मवेशियों को नहीं मिल रहा सहारा; लाखों रुपए खर्च के बाद भी गोवंश सडक़ों में फिर रहे मारे-मारे, यातायात के लिए बने मुसीबत
Arvind Jain
छतरपुर जिले में गौ पालन के नाम पर दुकानदारी चल रही है। बड़ी संख्या में गौ शालाएं कागजों पर चल रही हैं और गौ-वंशीय पशु सड़कों पर बेसहारा भटक रहे हैं। जो आए दिन हादसों की वजह बन रहे हैें और खुद भी हादसों में मारे जा रहे हैं। जिले के गौवंश के पालन के लिए गोशालाओं का निर्माण किया गया, पूरे जिले में 170 गोशालाएं स्वीकृति हुई, जिसमें से 105 बन चुकीं हैं, लेकिन जो गोशालाएं बनकर तैयार हो गई है। उनमें गोवंश को सहारा नहीं मिल पा रहा है। कुछ गोशालाएं तो शुरु होने के बाद बंद हो गई। ऐसे में लाखों रुपए खर्च के बाद भी गोवंश सडक़ों में मारे-मारे फिर रहे हैं। गोवंश हर रोड़ सडक़ दुर्घटनाओं के शिकार हो रहे हैं। इन घटना में गौवंश के साथ-साथ वाहन चालकों को भी क्षति हो रहे हैं।
2019 से हर साल बन रही गौशालाएं
छतरपुर जिले में वर्ष 2019-20 में ग्राम पंचायतों में लगभग 29 गौशालाएं 28 लाख की लागत से बनाई गई थीं। इनमें बकस्वाहा में 4, बड़ामलहरा में 3, बिजावर में 5, राजनगर में 4, छतरपुर में 3, नौगांव में 6, गौरिहार में एक, लवकुशनगर में 3 गौशालाएं बनाई गई हैैं। वहीं वर्ष 2020-21 में करीब 70 से अधिक गौ-शालाएं मनरेगा से बनाई गई हैं। फिर भी गौ-वंश को आसरा नहीं मिल पा रहा है।
अनुदान वाली 12 गोशालाएं
छतरपुर जिले में लगभग साढ़े 5 लाख गोवंश हैं, जिसमें ज्यादातर आवारा है। जिले में 12 गौशालाएं अनुदान से संचालित हैं जिन्हें 20 रूपए प्रति जानवर प्रति दिन के हिसाब से सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। हालांकि इनमें से सिर्फ 8 गौशालाएं ही ऐसी हैं जो सही तरीके से संचालित हो रही हैं। ये 8 गौशालाएं जिला मुख्यालय के नजदीक ग्राम राधेपुर, महोबा रोड पर स्थित दयोदय गौशाला, बारीगढ़ क्षेत्र में धंधागिरी गौशाला, सिजई में परमानंद गौशाला, लवकुशनगर क्षेत्र में कन्हैया गौशाला, नौगांव क्षेत्र में बुन्देलखण्ड गौशाला, बक्स्वाहा में पड़रिया गौशाला एवं बिजावर के ग्राम गुलाट में नंदिनी गौशाला शामिल है। इनमें से दो बुन्देलखण्ड गौशाला एवं सिजई की परमानंद गौशाला में साढ़े चार सौ से अधिक मवेशी रहते हैं।
गौवंश की सेवा कर रहे संस्थान, सरकारी मदद से दूर
छतरपुर जिले में अनेक संस्थान ऐसे भी हैं जो बगैर सरकारी मदद के गौवंश की सेवा कर रहे हैं। छतरपुर के साईं मंदिर के समीप गौसेवक रविराज सिंह और उनकी 15 सदस्यीय टीम एक गौ चिकित्सालय चला रही है। यह टीम सडक़ों पर हादसों के शिकार गौवंश की सूचना मिलने पर अपने वाहन से उसका रेस्क्यू करते हैं और फिर उसे उपचारित करते हैं। रविराज सिंह बताते हैं कि 15 सदस्य आपस में सेवा का समय निर्धारित कर लेते हैं एवं पशु चिकित्सक डॉ. दिनेश गुप्ता के मार्गदर्शन में गायों का उपचार करते हैं।
सडक़ों पर घूम रहे गौवंश को गौशालाओं में भेजने के नगर पालिका के प्रयास नाकाफी
छतरपुर। नगर पालिका द्वारा भले ही आवारा गौवंश को गौशालाओं में भेजने का प्रयास किया जा रहा हो लेकिन यह प्रयास अभी नाकाफी साबित हो रहे हैं। दरअसल पिछले करीब 15 दिनों से नगर पालिका की टीम शहर में घूमने वाले आवारा गोवंश को नगर पालिका के वाहनों से गौशालाओं तक भेज रही है लेकिन अभी भी पूरे शहर की सडक़ों पर जगह.जगह आवारा पशु देखने को मिल रहे हैं। सोमवार को नगर पालिका कार्यालय सहित आसपास के इलाके में ही कई आवारा पशु घूमते दिखाई दिए। शहर के अन्य इलाकों से भी इसी तरह की तस्वीरें सामने आ रही हैं।मुख्य नगरपालिका अधिकारी माधुरी शर्मा ने बताया कि शासन और जिला प्रशासन से मिले निर्देशानुसार नगर पालिका की टीम लगातार आवारा मवेशियों को गौशाला भेजने में लगी है। उन्होंने बताया कि पिछले 15 दिनों में नगर पालिका द्वारा करीब साढ़े तीन सैकड़ा आवारा पशुओं को राधेपुर और सरानी गौशाला भेजकर उनके चारा.पानी की व्यवस्था कराई गई है तथा यह कार्रवाई निरंतर जारी है। उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले दिनों में ग्राम ढड़ारी और पड़रिया की गौशाला में भी आवारा पशुओं को भेजने की योजना नगर पालिका द्वारा बनाई गई है जिस पर अमल किया जाएगा। सीएमओ ने कहा कि जल्द ही शहर की सडक़ों पर घूमने वाले सभी आवारा पशुओं को गौशाला भेजकर उनके लिए चारा.पानी की व्यवस्था कराई जाए जिससे आम लोगों को भी समस्या से निजात मिलेगी।